हजारों साल बाद फिर से जिंदा होना चाहते हैं ये अमीर लोग, लैब में जमाए जा रहे हैं शव
ये आधुनिक लैब अमेरिका में है. यहां अल्कोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन नाम की क्रायोनिक्स कंपनी शवों को भविष्य के लिए सुरक्षित रख रही है. इस कंपनी की बात करें तो इसमें फिलहाल 1400 लोग काम कर रहे हैं.
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मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सत्य है, लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अमर होना चाहते हैं या यूं कहें कि वह आज से हजारों साल बाद फिर से जिंदा होकर दुनिया देखना चाहते हैं. अमेरिका में बकायदा इसके लिए एक लैब चल रही है, जो अमीर इंसानों की मृत्यु के बाद उनके शवों को क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया के तहत भविष्य के लिए सुरक्षित रख रहा है.
दरअसल, इन लोगों का मानना है कि भविष्य में अगर कोई नई तकनीक आ गई जो मुर्दों के भीतर फिर से जान डाल सके तो उनके शव को फिर से जिंदा किया जा सकेगा. चलिए आपको इस लैब और इस तकनीक के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कौन कर रहा है ये
ये आधुनिक लैब अमेरिका में है. यहां अल्कोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन नाम की क्रायोनिक्स कंपनी शवों को भविष्य के लिए सुरक्षित रख रही है. इस कंपनी की बात करें तो इसमें फिलहाल 1400 लोग काम कर रहे हैं, वहीं इस कंपनी ने अब तक अकेले अमेरिका में 230 शवों को संरक्षित किया है. जबकि, पूरी दुनिया की बात करें तो दुनियाभर में इस कंपनी ने लगभग 500 शवों को भविष्य के लिए संरक्षित किया है.
कैसे किया जाता है शवों को संरक्षित
यह कंपनी शवों को क्रायोप्रिजर्वेशन पद्धति द्वारा संरक्षित करती है. यानी शवों को क्रायोनिक्स ट्यूब में -196 डिग्री से नीचे के तापमान में रखा जाता है. वहीं जीवित कोशिकाओं, ऊतकों और जैविक सामग्रियों को 0 से नीचे के तापमान पर संरक्षित किया जाता है.
कितना आता है इसका खर्च
आमतौर पर एक पूरे शव के क्रायोप्रिजर्वेशन में लगभग 1.8 करोड़ रुपये लगते हैं. वहीं अगर कोई सिर्फ मृत इंसान के दिमाग को फ्रीज कराना चाहता है तो उसका खर्च लगभग 66 लाख रुपये है.
आपको बदा दें, शव को फ्रीज कर के संरक्षित करने के लिए और उसके भीतर बर्फ के क्रिस्टल के गठन को रोकने के लिए शरीर के खून को क्रायोप्रोटेक्टेंट समाधान के साथ बदला जाता है. इसका बाद शव -196 डिग्री सेस्लियस तक ठंडा किया जाता है और फिर इन शवों को लिक्विड नाइट्रोजन वाले वैक्यूम-इंसुलेटेड धातु के कंटेनरों में संग्रहित कर दिया जाता है.
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