AMU Minority Status: क्या है आर्टिकल 30, जिसका AMU अल्पसंख्यक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किया जिक्र
Aligarh Muslim University Minority Status: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 30 (1) का मकसद यही है कि अल्पसंख्यकों का बनाया गया संस्थान उनके जरिये ही चलाया जाए.
Aligarh Muslim University Minority Status: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की एक समिति बनाई गई है. कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से अपने फैसले में 1967 के अजीज बाशा फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इनकार करने का आधार बनाया गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में आर्टिकल 30 का भी जिक्र किया है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर आर्टिकल 30 है क्या.
अब सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर फैसला सुनाते हुए कैसे इस आर्टिकल का जिक्र किया. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि संस्थान को स्थापित करने और उसके सरकारी तंत्र का हिस्सा बन जाने में अंतर है, आर्टिकल 30 (1) का मकसद यही है कि अल्पसंख्यकों का बनाया गया संस्थान उनके जरिये ही चलाया जाए. आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान हो सकते हैं.
क्या है आर्टिकल 30
आर्टिकल 30 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है, जो अल्पसंख्यक वर्गों के शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के अधिकार के बारे में है. यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म की रक्षा और प्रसार के लिए शिक्षा संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार प्रदान करता है.
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आर्टिकल 30 की जरूरी बातें
-अल्पसंख्यक वर्गों को अपने शिक्षा संस्थान स्थापित करने का अधिकार है.
-अल्पसंख्यक वर्गों को अपने शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और शिक्षा के लिए अपनी भाषा और संस्कृति का उपयोग करने का अधिकार है.
-अल्पसंख्यक वर्गों को अपने शिक्षा संस्थानों में अपने धर्म और संस्कृति की शिक्षा देने का अधिकार है.
-राज्य अल्पसंख्यक वर्गों के शिक्षा संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकता है.
-अल्पसंख्यक वर्गों के शिक्षा संस्थानों को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होना आवश्यक है.
क्यों मिलता है ये दर्जा
अब सवाल है कि अल्पसंख्यक दर्जा क्यों दिया जाता है, दरअसल भारत में तमाम अल्पसंख्यकों के विकास और उनकी पढ़ाई को लेकर ये व्यवस्था की गई थी. ऐसे संस्थानों में इन अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिलता है और उनका शैक्षणिक विकास होता है. यही वजह है कि इन संस्थानों को कुछ खास अधिकार दिए जाते हैं, यानी तमाम तरह के नियम-कायदे ये खुद तय कर सकते हैं. ऐसे संस्थानों की लिस्ट काफी लंबी है, देश के कई बड़े विश्वविद्यालय इसमें आते हैं. फिलहाल अब तीन जजों की बेंच एएमयू के दर्जे पर आखिरी फैसला सुनाएगी.
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