चंद्रयान 3 बुधवार शाम को चांद की सतह पर उतर जाएगा. इसरो के इस मिशन की दुनियाभर में तारीफ हो रही है. लेकिन क्या आपको पता है कि अमेरिका ने सबसे पहले मिशन अपोलो के तहत चांद पर झंडा फहराया था. लेकिन अमेरिका के इस मिशन पर दुनियाभर ने सवाल उठाए थे.
बता दें कि अपोलो 11 मिशन लॉन्च होने से करीब 3 माह पूर्व अमेरिकी झंडा चांद पर फहराने का निर्णय लिया गया. इस फैसले के बाद नासा की ओर से एक सरकारी कंपनी को अमेरिकी झंडे का ऑर्डर दिया गया. जिसकी कीमत करीब 5.50 डॉलर थी. यह झंडा नायलॉन से बनाया गया था. इसके अलावा इसे चांद पर लगाने के लिए धातु का पोल भी खरीदा गया, जोकि करीब 75 डॉलर का था. बताया जाता है कि इसे उस प्रकार डिज़ाइन किया गया था कि जिससे चंद्रमा की सतह पर इसे लगाने में दिक्कत का सामना न करना पड़े.
झंडा फहराने को लेकर एक और बड़ा सवाल उठाया गया था कि जब झंडे को स्पेस क्राफ्ट के अंदर कहा रखा जाए. दरअसल झंडा ले जाने का निर्णय काफी देर से लिया गया था. पहले ही यान के अंदर के स्पेस को कैसे उपयोग में लिया जाएगा उसकी प्लानिंग कर ली गई थी. उसे इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि इंजन की गर्मी की वजह से कहीं उस में आग ने लग जाए. अपोलो 11 के साथ भेजे गए झंडे को उस समय लूनर लैंडर पर लगाया गया था.
नील आर्मस्ट्रांग व बज एल्ड्रिन ने पृथ्वी पर ही झंडा लगाने की प्रैक्टिस की थी. मगर जब वह असल में झंडा लगाने लगे, तो उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा, वो सिकुड़ा ही रह गया. जिसके कारण लोगों ने ये तक कह दिया कि चांद पर हवा नहीं है तो झंडा लहराता हुआ कैसे दिख रहा है? चंद्रमा से लौटते समय एल्ड्रिन ने कहा था कि झंडा गिर गया. लेकिन बाद के अपोलो मिशन के लगाए हुए झंडे चांद पर मौजूद हैं.
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