अमेरिका का त्योहार थैंक्सगिविंग और खाने में टर्की, आखिर क्या है यह कनेक्शन?
अमेरिका में थैंक्सगिविंग बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका टर्की से भी खास कनेक्शन है. चलिए जानते हैं कि आखिर वो कनेक्शन क्या है.
थैंक्सगिविंग अमेरिका का एक खास त्योहार है, जिसे नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है. यह दिन खासतौर पर परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने और अपनी जिंदगी में मिली सफलताओं का धन्यवाद देने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है. थैंक्सगिविंग के दिन अमेरिका में कुछ खास तरह का खाना बनाया जाता है, जिनमें टर्की खास है. लेकिन ये उठता है कि आखिर अमेरिकी त्योहार थैंक्सगिविंग में टर्की क्यों खाई जाती है? इसके पीछे एक बड़ी ही मजेदार कहानी है. चलिए जानते हैं कि आखिर वो क्या है.
यह भी पढ़ें: शराब के साथ खाने वाली चीजों को चखना क्यों कहते हैं? जान लें इसका मतलब
क्यों मनाया जाता है थैक्सगिविंग?
थैंक्सगिविंग की शुरुआत 1621 में हुई थी, जब पहले अमेरिकी कोलोनाइजर जिन्हें 'पिल्ग्रिम फादर्स' के नाम से जाता है, उन्होंने अपनी पहली फसल के बाद हार्वेस्ट (कटाई) उत्सव मनाया था. यह उत्सव उन्होंने मूल अमेरिकी जनजातियों, खासतौर पर Wampanoag जनजाति के साथ मिलकर मनाया था. इस मौके पर सभी गांव के लोगों ने एकसाथ मिलकर भोजन किया और अपनी जिंदगी के लिए आभार व्यक्त किया.
सिर्फ अमेरिका ही नहीं, थैंक्सगिविंग जैसा उत्सव कनाडा और कुछ अन्य देशों में भी मनाया जाता है, लेकिन इसे मनाने का तरीका और तारीख अलग होती है. इस दिन की खास बात यह है कि यह कृषि, प्रकृति और कड़ी मेहनत से जुड़े खास पलों को सम्मानित करने का तरीका है.
यह भी पढ़ें: स्पेस में कितने दिन का खाना लेकर चलते हैं एस्ट्रोनॉट्स? फंसने पर आता है काम
टर्की का कनेक्शन
थैंक्सगिविंग के साथ टर्की का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है. दरअसल 17वीं सदी के अमेरिका में टर्की बहुत आसानी से पाया जाता था. पिल्ग्रिम फादर्स ने देखा कि यह पक्षी बड़ी संख्या में उपलब्ध था और यह एक अच्छा आहार दे सकता था. उनके पास उस समय खाने के दूसरे विकल्प कम थे, इसलिए टर्की एक आम चुनाव बन गया. बता दें टर्की अमेरिकी महाद्वीप का मूल निवासी पक्षी है, जिसे यूरोप से लाए गए अन्य पक्षियों के मुकाबले यहां ज्यादा आसानी से पालतू और शिकार किया जा सकता था. वहीं जब थैंक्सगिविंग के सेलिब्रेशन की परंपरा अमेरिका में बढ़ी तो टर्की को इस खास त्योहार के प्रतीक के रूप में अपनाया गयाय समय के साथ-साथ यह एक स्थायी परंपरा बन गई और आज भी थैंक्सगिविंग के दिन टर्की खाने का रिवाज है.
यह भी पढ़ें: AFSPA पर मणिपुर में बवाल, जानें इस कानून से सेना के जवानों को किन चीजों की मिलती है छूट?