Rose Day Special: राष्ट्रपति भवन के बगीचे में सालाना एक जलसा लगता है. महामहिम के इस बगीचे का नाम पहले मुगल गार्डन था, जिसे बीते साल बदल कर अमृत उद्यान कर दिया गया. इस गार्डन में दुनियाभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है. यहां के 120 तरह के गुलाब 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और लगभग पांच हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां पर्यटकों का मनमोह लेती हैं.


इतना ही नहीं उद्यान में लगे फव्वारे भी कमल के आकार के हैं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. अमृत उद्यान में कई छोटे-बड़े बगीचे हैं. इस समय यहां पर विभिन्न तरह के फूल खिले हुए हैं और खास बात ये है कि इस साल 12 अनोखे तरह की ट्यूलिप लगाई गई हैं, जो कि अलग-अलग चरणों में खिलेंगी
एक नजर अमृत उद्यान के हिस्ट्री पर.


कब बना ये गार्डन 


ये गार्डन साल 1928 में बनकर तैयार हुआ. जिसका क्षेत्रफल 13 एकड़ है. इसकी बनावट में आप ब्रिटिश शैली के साथ-साथ मुगल शैली भी खूब देखेंगे. 4 भागों में बंटा हुआ या उद्यान एक-दूसरे से अलग और अनोखा है. फूलों की बात करें तो यहां ट्यूलिप, मोगरा-मोतिया, रजनीगंधा, बेला, रात की रानी, जूही, चंपा-चमेली आदि देख सकते हैं. फैक्ट की बात है कि यहां फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं. अमृत उद्यान में 120 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और लगभग पांच हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं.


डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने आम लोगों के लिए खुलवाया था


राष्ट्रपति उद्यान को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द प्रसाद ने आम लोगों के लिए खुलवाया था. तब से लेकर आज तक वसंत के ऋतु में हर साल इसे आम जनता के लिए भी खोला जाता है. इतिहासकार और वहां काम करने वाले लोग बताते हैं कि जाकिर हुसैन गुलाब के अत्यंत शौकीन थे. उन्होंने देश-विदेश से गुलाब की कई किस्में मंगवाकर यहां लगवाईं. इस उद्यान को राष्ट्रपति भवन के पीछे इसलिए रखा गया, क्योंकि मुगलों के बाग-बगीचे महल के पीछे ही हुआ करते थे. इसलिए एडवर्ड सर लुटियंस ने केवल इसका रूपांकन ही नहीं किया, बल्कि मुगलों की सोच को भी उसी तरह बनाए रखा.


मुगल बागों के तर्ज पर मुगल गार्डन


इतिहासकार विष्णु शर्मा के अनुसार जिन खूबसूरत बागों के लेकर राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन बनाया गया, उनकी शुरुआत आगरा में आराम बाग से हुई. काबुल ले जाने से पहले बाबर के शव को यहीं आराम करने के लिए दफनाया गया था. 1911 में अंग्रेजों ने ये तय किया था कि राजधानी कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट कर जी जाए. उन्होंने दिल्ली डिजाइन करने के लिए प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुकार लुटियंस को इंग्लैंड से भारत बुलाया, और लुटियंस ने दिल्ली को डिजाइन किया. इसलिए आप देखेंगे कि दिल्ली में राष्ट्रपति भवन वाले इलाके को लुटियंस दिल्ली कहते हैं. 


कैसे जाएं अमृत उद्यान


अमृत उद्यान जाना बिल्कुल फ्री है, लेकिन इसके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन टिकट की बुकिंग करनी होती है. 
ऑनलाइन के लिए -
https://rashtrapatisachivalaya.gov.in या https://rb.nic.in/rbvisit/visit_plan.aspx से कर सकते हैं.

इसके अलावा लोग राष्ट्रपति भवन पहुंचकर भी टिकट ले सकते हैं. गेट नंबर 12 के पास स्वयं सेवा कियोस्क पर अपना पंजीकरण कराना होगा. एक व्यक्ति के पंजीकरण पर 10 लोगों का टिकट लिया जा सकता है.


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