देश की 18वीं लोकसभा चुने हुए करीब डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन दो सांसद इस वक्त भी सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. इनमें पंजाब की खडूर साहिब सीट से जीतने वाले वारिस पंजाब दे के प्रमुख और अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह शामिल हैं तो दूसरा नाम जम्मू-कश्मीर की बारामुला सीट से सांसद बने अब्दुल राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशिद का है. 


अमृतपाल सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप सिंह जीरा को 1 लाख 97 हजार 120 वोटों से हराया. सांसद पद की शपथ लेने के लिए उन्हें एक दिन की पैरोल मिली थी, जिसके बाद वह दोबारा जेल में हैं. अब सवाल यह उठता है कि जेल में बंद होने के चलते बतौर सांसद वह अपनी जिम्मेदारियां कैसे निभाएंगे और अपनी सांसद निधि कैसे खर्च करेंगे? 


अमृतपाल पर क्या हैं आरोप?
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए के तहत अमृतपाल सिंह मार्च 2023 से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. बता दें कि एनएसए प्रेवेंटिव डिटेंशन लॉ है, जिसमें सरकार को अधिकार मिलता है कि वह औपचारिक आरोप लगाए बिना किसी को भी 12 महीने के लिए हिरासत में रख सकती है. खालिस्तान समर्थक अमृतपाल को पंजाब पुलिस ने पिछले साल मोगा जिले से गिरफ्तार किया था. उन पर पंजाब में 11 और डिब्रूगढ़ में एक केस दर्ज हैं. 


ऐसे दिलाई गई थी शपथ
बता दें कि संविधान के आर्टिकल 99 के तहत संसद के सभी सदस्यों को राष्ट्रपति के समक्ष अनिवार्य रूप से शपथ लेनी होती है. ऐसे में अमृतपाल को संसद जाने और शपथ लेने के लिए एक दिन की पैरोल दी थी. हालांकि, उस दौरान उन्हें मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने और रास्ते में किसी से भी बातचीत करने की इजाजत नहीं दी गई थी. 


संसद की कार्यवाही में शामिल होने का क्या है नियम?
अमृतपाल को शपथ ग्रहण करने के लिए एक दिन की पैरोल मिली थी, लेकिन यह प्रक्रिया सामान्य जमानत मिलने से एकदम अलग होती है. अब अमृतपाल दोबारा जेल में हैं. ऐसे में उन्हें लोकसभा के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखनी होगी और जानकारी देनी होगी कि वह संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते हैं. संविधान के आर्टिकल 101(4) के मुताबिक, अगर कोई सांसद बिना इजाजत लिए 60 दिन तक संसद से गैरहाजिर रहता है तो लोकसभा स्पीकर उनकी सीट को खाली घोषित कर सकते हैं. अगर अमृतपाल को पार्लियामेंट सेशन में शामिल होना है या संसद में वोट देना है तो उन्हें हर बार अदालत से इजाजत लेनी होगी. अगर अमृतपाल को दोषी करार दिया जाता है और उन्हें दो या दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उनकी सांसदी खत्म कर दी जाएगी. 


कैसे खर्च करेंगे सांसद निधि?
अब सवाल यह भी उठता है कि जेल में रहते हुए अमृतपाल अपनी सांसद निधि कैसे खर्च करेंगे? बता दें कि सांसद निधि का मतलब यह नहीं है कि उसका पूरा फंड किसी भी सांसद के बैंक खाते में जमा किया जाता है. सांसद के नाम पर यह फंड अलॉट होता है. जब उन्हें कोई भी विकास कार्य कराना होता है तो वह सरकार से सांसद निधि जारी करने की सिफारिश करते हैं. इसके बाद सरकार का प्रशासनिक अमला उस काम को पूरा कराता है. अगर सांसद के पद मौजूद नेता जेल में है तो वह किसी भी काम को करवाने के लिए फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकता है. इसके बाद वह फाइल प्रशासनिक अमले के पास जाती है. इस तरह जेल में बंद सांसद अपनी सांसद निधि खर्च कर सकते हैं.               


यह भी पढ़ें: दिल वाली इमोजी भेजने पर इस देश में है बैन, जेल के साथ 20 लाख का जुर्माना