आईएएस अधिकारियों की गाड़ियों पर आपने देखा होगा कि लाल-नीली बत्ती लगी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोई भी आईएएस अधिकारी कब अपनी गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगा सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि आईएएस अधिकारी कब और किन गाड़ियों पर लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल कर सकता है और इसके लिए क्या नियम हैं. 


आईएएस 


देश में एक बार फिर से आईएएस को मिलनी वाली सुविधाएं और लाल-नीली बत्ती का मामला उठा है. दरअसल महाराष्ट्र की एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी आजकल काफी चर्चा में है. ये अधिकारी पुणे में तैनात ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर हैं. हालांकि अब पूजा को महाराष्ट्र के वाशिम में स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने अपनी प्राइवेट कार पर लाल-नीली बत्ती, वीआईपी नंबर प्लेट, लेटर पैड, नेम प्लेट, अलग कार्यालय कक्ष का इस्तेमाल किया था. अब सवाल ये है कि आखिर कोई भी आईएएस अधिकारी कब लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल कर सकता है और इसके लिए क्या नियम हैं. 


लाल-नीली बत्ती 


देश का कोई भी आईएएस अधिकारी अपनी सरकारी गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल कर सकता है. हालांकि इसको लेकर भी कई नियम हैं. पूजा खेडकर अभी प्रोबेशन पीरियड में और एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं. बता दें कि कोई भी ट्रेनी आईएएस अधिकारी अपने प्राइवेट गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इतना ही नहीं ट्रेनी आईएएस अधिकारी को दूसरे आईएएस अधिकारियों की तुलना में बहुत कम सुविधाएं और विशेषाधिकार मिलते हैं. 


जानकारी के मुताबिक लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल आईएएस रैंक के अधिकारी सिर्फ अपनी सरकारी गाड़ियों में कर सकते हैं. वो भी सिर्फ ड्यूटी के दौरान कर सकते हैं. अगर किसी सरकारी गाड़ी में अधिकारी नहीं बैठे हैं, तो उस दौरान नियमों के मुताबिक लाल-नीली बत्ती को ढककर रखा जाता है. इसके अलावा कोई भी आईएएस अधिकारी अपनी निजी वाहनों पर लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. ऐसा करने पर स्थानीय पुलिस प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. 


लाल-नीली बत्ती को लेकर क्या नियम


बता दें कि एक मई 2017 से देश में लाल और नीली बत्ती का कल्चर खत्म कर दिया गया है. नियमों के मुताबिक सिर्फ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और इमरजेंसी सेवाओं में तैनात गाड़ियां ही नीली बत्ती का यूज कर सकती हैं. इस फैसले को लागू करने के लिए सेंट्रल मोटर वाहन एक्ट 1989 में बदलाव किया गया था. इस एक्ट का नियम 108(1) (3) कहता है कि केंद्र और राज्य सरकारें ये तय कर सकती हैं कि किन गाड़ियों पर लाल और नीली बत्ती लग सकती है.


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