Animal's Collection: जब भी कोई नई फिल्म रिलीज होती है तब-तब बॉक्स ऑफिस कलेक्शन शब्द सुनने को मिलता है. एनिमल और शैम बहादूर फिल्म के रिलीज होने के बाद भी यही सुनने को मिल रहा है. क्या आपने कभी सोचा है कि यह कलेक्शन कैसे किया जाता है. एक साथ पूरे देश में फिल्म रिलीज की जाती है. क्या फिल्म मालिक सभी जगह अपने आदमी भेजते हैं पैसा कलेक्शन करने के लिए. आपको बता दें कि इसके लिए पूरा एक सिस्टम तैयार किया गया है, जिसके जरिए किसी फिल्म की कमाई तय की जाती है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि यह क्या होता है और इसका पता कैसे चलता है.
कैसे होता है यह काम?
मनोरंजन का सारा आकर्षण बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर निर्भर करता है. इसके लिए फिल्म उद्योग में एक महत्त्वपूर्ण मापदंड तय किया गया है. डिस्ट्रीब्यूटर्स को थियेटर मालिकों से हर सप्ताह के आधार पर रिटर्न दिया जाता है. यह कैसे होता है आइए समझते हैं. एक मल्टीप्लेक्स में, पहले हफ्ते का 50%, दूसरे हफ्ते का 42%, तीसरे हफ्ते का 37%, और चौथे हफ्ते के बाद 30% हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटर को मिलता है. जबकि सिंगल स्क्रीन पर, पहले सप्ताह से लेकर जब तक फिल्म चलती है, डिस्ट्रीब्यूटर को 70-90% आमतौर पर मिलता है.
उदाहरण से समझिए
चलिए इसे एक उदाहरण के जरिए समझें. मान लीजिए एक मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमत 250 रुपये है और 100 लोगों ने फिल्म देखी, यानि कि 100 शो हुए. इससे पहले हफ्ते का कुल कलेक्शन 25,00,000 रुपये हुआ. 30% कम करने के बाद, कमाई हुई 17,50,000 रुपये. पहले सप्ताह में 50% वितरक को मिलता है. इसी प्रकार, बाकी हफ्तों में भी उसी दर से वितरक को हिस्सा मिलता रहता है जब तक फिल्म चलती है.
अब सिंगल स्क्रीन पर टिकट 150 रुपये की है और 100 शो हुए. इससे कुल कलेक्शन 15,00,000 रुपये हुआ. 30% कम करने के बाद, कमाई हुई 10,50,000 रुपये. इसमें 80% कमाई वितरक को जाती है, तो पहले सप्ताह में वितरक को 8,40,000 रुपये की कमाई होती है. फिल्म जब तक चलती है, उसी हिसाब से वितरक को हिस्सा मिलता रहता है.
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