Annie Besant's B’day: आयरिश मूल की होकर भी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं थी एनी बेसेंट, भारत से था खास लगाव
एनी वुड बेसेंट (Annie Wood Besant) का जन्म 1 अक्टूबर, 1847 में लंदन के एक उच्च मध्यमवर्ग परिवार में हुआ था. इनके पिता विलियम बर्टन पर्स वुड (William Burton Persse Wood) एक अंग्रेज डॉक्टर थे.
Annie Besant BBirthday: साल 1917 में कांग्रेस (Congress) के अध्यक्ष पद का चुनाव चल रहा था और गांधी जी (Mahatma Gandhi) भारत आ चुके थे. उस समय कांग्रेस में मोतीलाल नेहरू, बाल गंगाधरतिलक, जैसे कई बड़े नेता कार्यरत थे, फिर भी आयरिश मूल की महिला (Irish Lady), एनी बेसेंट (Annie Besant) को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया.
एनी बेसेंट के जन्मदिवस के मौके पर हम जानेंगे कि कैसे इस आयरिश मूल की महिला ने कांग्रेस के साथ साथ भारतीयों का भी दिल जीत लिया था और कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें खुशी खुशी अपना नेता चुना. आइए पढ़ते हैं एनी बेसेंट की ये संक्षिप्त जीवनी
1 अक्टूबर को होता है एनी बेसेंट का जन्मदिन
एनी वुड बेसेंट (Annie Wood Besant) का जन्म 1 अक्टूबर, 1847 में लंदन के एक उच्च मध्यमवर्ग परिवार में हुआ था. इनके पिता विलियम बर्टन पर्स वुड (William Burton Persse Wood) एक अंग्रेज डॉक्टर थे. आयरिश मूल की होने के कारण ये हमेशा ही आयरिश होम रूल की समर्थक रहीं, जिससे इनके मन में स्वतंत्रता, स्वशासन और समाज सेवा जैसे विचार पैदा होते गए. इनका विवाह बीस साल की उम्र में एक पादरी से हुआ था, जोकि सफल नहीं रहा और कुछ समय बाद ये अपनी बेटी के साथ अपने पति से अलग हो गईं.
लेखन से मिली लोकप्रियता
इसके बाद इनका रुझान लेखन की ओर बढ़ा जहां इन्होंने वैचारिक स्वतंत्रता, धर्मनिर्पेक्षता, जनसंख्या नियंत्रण, महिला एवं कामगारों के अधिकारों जैसे कई मुद्दों को उठाया. धीरे धीरे उनका झुकाव आध्यात्म और ईश्वरवाद में बढ़ने लगा, लेकिन ये होम रूल की बराबर समर्थक बनी रही और साथ ही चर्च और उसके कानून एवं बर्ताव के खिलाफ भी होती गईं. अपने लेखन कायों से इन्होंने काफी लोकप्रियता भी हासिल की.
पहले से ही पसंद आ गया था भारत
अपने लेखों के जरिए साल 1878 में उन्होंने पहली बार भारत के बारे में अपनी राय रखी और फिर धीरे धीरे उनके लेखों में भारत का जिक्र बढ़ता गया. 1883 में वे थियोसोफिकल सोसाइटी से जुड़ीं और जल्दी ही उसकी एक प्रमुख वक्ता भी बन गईं. साल 1893 में स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो की जिस धर्म संसद में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, इन्होंने भी उसी संसद में थियोसोफिकल सोसाइटी का प्रतिनिधित्व किया था.
भारत आगमन
1893 में एनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसलाइटी के काम से भारत आईं और फिर वे हमेशा के लिए भारत की ही होकर रह गई. इनपर पर भारतीय आध्यात्म और दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा. 1907 में इन्हे थियोसोफिकल सोसाइटी की अध्यक्ष बनाया गया और फिर इन्होंने भारत को ही सोसाइटी का गतिविधि केंद्र बना लिया था.
राजनैतिक सक्रियता
इनका मानना था कि भारत को राजनैतिक स्वतंत्रता की बहुत जरूरत है. इसलिए सोसाइटी के कार्यों के साथ इन्होंने खुद को राजनीति में भी सक्रिय रखा. इन्होंने भारत में धार्मिक, राजनैतिक और शैक्षणिक जागरण की दिशा में काम करना शुरू किया. ये भारत में भी होमरूल की संमर्थक रहीं और शुरुआत ही भारत में स्वशासन के बारे में लिखती रहीं. प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों की जरूरत को इन्होंने भारत के लिए एक मौका बताया था.
होम रूल लीग आंदोलन
इन्होंने (Annie Besant) लोकमान्य तिलक के साथ मिलकर 1916 में ऑल इंडिया होम रूल लीग आंदोलन की शुरुआत की और जब इन्हे गिरफ्तार किया गया तो कांग्रेस (Congress) और मुस्लिम लीग दोनों ने ही इसका विरोध किया. अंततः अंग्रेजों को हार मान कर उन्हें रिहा करना पड़ा. रिहाई के बाद पूरे देश ने एनी बेसेंट का स्वागत किया. ये इतनी लोकप्रिय थी कि खुद महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इनकी तारीफ की थी. साल 1917 में आयरिश मूल की होते हुए भी ये कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं थी. 20 सितंबर 1933 को, 85 साल की उम्र में ये पवित्र आत्मा परमात्मा में विलीन हो गई.
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