ये देश लैब में बनाए गए लाखों मच्छरों को बाहर क्यों छोड़ रहा है?
जो मच्छर लैब में तैयार कर के बाहर छोड़े जा रहे हैं वो जेनेटिकली मॉडिफाइड हैं और बाहर जा कर ये मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति को रोकने का काम करते हैं जो मलेरिया की बीमारी फैलाती है.
मच्छरों से पूरी दुनिया परेशान है. मौसम कोई भी हो अगर आप शाम के वक्त पार्क में या छत पर खड़े हैं तो ये आपको घेर लेते हैं. इनके काटने से सिर्फ चुभन या खुजली ही नहीं होती, बल्कि कई गंभीर बीम भी फैलती हैं. अब सवाल उठता है कि अगर मच्छरों से इतनी दिक्कत है तो एक देश उन्हें लैब में तैयार कर के बाहर क्यों छोड़ रहा है.
कौन सा है वो देश
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अफ्रीकी देश जिबूती की. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जिबूती में लाखों मच्छरों को लैब में तैयार करके उन्हें बाहर छोड़ा गया है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब ऐसा किया गया है. इससे पहले ऐसा किया गया था.
ऐसा क्यों किया जा रहा है
जो मच्छर लैब में तैयार कर के बाहर छोड़े जा रहे हैं वो जेनेटिकली मॉडिफाइड हैं और बाहर जा कर ये मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति को रोकने का काम करते हैं जो मलेरिया की बीमारी फैलाती है. बाहर छोड़े गए एनोफ़ेलीज़ स्टीफेंसी मच्छरों की खास बात ये है कि ये काटते नहीं है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मलेरिया वाले मच्छरों से निपटने का अच्छा तरीका है. सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) का कहना है कि इस तकनीक को ब्राज़ील, केमैन द्वीप समूह, पनामा और भारत में पहले भी आजमाया गया था और वो काफ़ी कामयाब भी रहा था.
बाहर घूम रहे लैब वाले अरबों मच्छर
अमेरिका की CDC इन मच्छरों पर कहती है कि साल 2019 के बाद पूरी दुनिया में एक अरब से ज्यादा ऐसे मच्छर खुले में घूम रहे हैं जिन्हें लैब में तैयार किया गया है. जिबूती में छोड़े गए नोफेलीज स्टीफेंसी मच्छरों को ब्रिटेन की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी ऑक्सीटेक ने विकसित किया है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन मच्छरों का काम क्या होता है और ये अपना मिशन कैसे पूरा करते हैं. दरअसल, इन मच्छरों में एक जीन होता है, जो मादा मच्छरों को प्रौढ़ होने से पहले ही ख़त्म कर देता है.
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