चींटियां सूंघकर कैंसर का पता लगा लेती हैं... वैज्ञानिकों की ये रिसर्च वाकई हैरान कर देने वाली है
फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च ने कुछ समय पहले अपनी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दावा किया कि कैंसर डिटेक्ट करने में यह खास प्रकार की चीटियां कुत्तों से ज्यादा सफल हो सकती हैं.
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिस का सटीक इलाज आज तक नहीं मिल पाया है. इसकी वजह से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. सबसे बड़ी बात कि इस बीमारी का अगर सही समय पर पता ना चले तो यह और घातक हो जाती है और फिर मरीज की जान बचने की उम्मीद एकदम कम हो जाती है. इसके ट्रीटमेंट और इसके चेकअप में बहुत खर्च होता है, जिसकी वजह से कई लोग जो गरीब तबके से आते हैं या जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं होती वह कैंसर का चेकअप भी नहीं कराते. लेकिन वैज्ञानिकों ने अपनी एक लेटेस्ट स्टडी में दावा किया है कि एक खास प्रजाति की चीटियां सूंघकर कैंसर का पता लगा लेंगी. अगर यह रिसर्च सफल रहा तो इससे लोगों को काफी मदद मिलेगी.
क्या है यह रिसर्च
फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च ने कुछ समय पहले अपनी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दावा किया कि कैंसर डिटेक्ट करने में यह खास प्रकार की चीटियां कुत्तों से ज्यादा सफल हो सकती हैं. यह रिसर्च रिपोर्ट प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में पब्लिश की गई थी. इसके अनुसार, यूरोप और दक्षिण एशिया में पाई जाने वाली फॉर्मिका फ्यूस्का चींटियों के अंदर एक खास गुण होता है जिसकी वजह से यह सूंघकर पता लगा सकती हैं किस इंसान को कहां कैंसर की बीमारी है.
चीटियों को कैसे पता चलता है
दरअसल, जब कोई मरीज कैंसर की बीमारी से जूझ रहा होता है तो उसके शरीर में मौजूद कैंसर के ट्यूमर से एक वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड नाम का केमिकल निकलता है. यह केमिकल हमारे शरीर से पेशाब और पसीने के रास्ते बाहर निकलता है. इसी केमिकल को यह खास प्रजाति की चीटियां सूंघ लेती हैं और डॉक्टरों को कैंसर का पता चल जाता है. अगर यह रिसर्च कामयाब हो जाता है तो आने वाले समय में कैंसर के चेकअप में जो भारी-भरकम रकम खर्च करनी होती है, उससे आम आदमी को राहत मिलेगी.
कुत्तों को भी दी जा चुकी है ट्रेनिंग
कुछ समय पहले कुछ वैज्ञानिकों ने कुत्तों को भी ऐसी ही एक ट्रेनिंग देने की कोशिश की थी, जिससे वह सूंघकर किसी इंसान में कैंसर के ट्यूमर हैं या नहीं उसका पता लगा सकें. यह रिसर्च अभी भी चल रही है. इसके कुछ परिणाम पॉजिटिव भी मिले हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर एडवांस स्टेज पर पहुंचने से पहले ही इस घातक बीमारी यानी कैंसर का पता लगा लिया जाए तो ऐसे में मरीज का इलाज करने में डॉक्टरों को सहायता मिलेगी और कई बार समय से अगर इलाज हो जाए तो मरीज की जान भी बच जाती है.
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