भारतीय न्याय संहिता में हैं 5 किस्म के रेप, जानिए- ममता बनर्जी की सरकार ने कैसे सजा को बढ़ाया
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने जिस 'अपराजिता बिल' को विधानसभा में पारित कराया है. वह भारतीय न्याय संहिता में रेप की सभी धाराओं में सजा को और कठोर करता है.
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और फिर मर्डर के मामले ने लोगो के अंदर गुस्सा भर दिया है. इसे लेकर कई दिनों तक लोग सड़क पर विरोध प्रदर्शन करते रहे. वहीं मामले की सीबीआई जांच की वजह से भी ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बढ़ा है.
लेकिन अब पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में 'अपराजिता बिल' लाकर यह संदेश दे दिया है कि वह किसी भी तरह से बलात्कारियों को छोड़ने के मूड में नहीं है. दरअसल, अपराजिता बिल, भारतीय न्याय संहिता में बलात्कार और बाल यौन उत्पीड़न के मामलों में मिलने वाली सजा को और सख्त बनाता है.
चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. इसके साथ ही, ये भी बताते हैं कि भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस में पांच तरह के किन-किन बलात्कारों का जिक्र है.
पांच तरह के रेप और उनमें मिलने वाली सजा
बीएनएस सेक्शन 64(1)- इस सेक्शन का इस्तेमाल रेप के मामलों में किया जाता है. इसमें जुर्माना के साथ-साथ 10 साल की कठोर सजा का प्रावधान है. इसके अलावा इस धारा के तहत अपराध की गंभीरता को देखते हुए उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान है.
बीएन सेक्शन 64(2)- ये धारा तब लगाई जाती है जब बलात्कार का आरोपी कोई पुलिसकर्मी या सरकारी कर्मचारी हो. इस सेक्शन के तहत भी 10 साल की कठोर सजा जो उम्रकैद तक भी बढ़ाई जा सकती है और जुर्माने का प्रावधान है.
बीएनएस सेक्शन 66- इस सेक्शन का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब बलात्कार के दौरान पीड़िता की मौत हो जाए या उसकी स्थिति गंभीर हो जाए. ऐसे मामलों में आरोपी को 20 साल की कठोर सजा जो उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है और जुर्माने का प्रावधान है. इसके अलावा ऐसे मामलों में अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को फांसी की सजा भी हो सकती है.
बीएनएस सेक्शन 70(1)- इस सेक्शन का इस्तेमाल गैंग रेप के मामलों में किया जाता है. इसके तहत आरोपी को 20 साल की कठोर सजा, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने का प्रावधान है.
बीएनएस सेक्शन 70(2)- इस धारा का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है, जिनमें अपराधी ने कई बार पीड़िता के साथ बलात्कार किया हो. ऐसे केस में आरोपी को उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है.
'अपराजिता बिल' कैसे बढ़ाती है सजा
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने जिस 'अपराजिता बिल' को विधानसभा में पारित कराया है. वह ऊपर बताई गई सभी धाराओं में सजा को और कठोर करती है. जैसे- बीएनएस 64(1) के तहत दर्ज मामलों में 'अपराजिता बिल' के अनुसार, आरोपी को कठोर कारावास के साथ उम्रकैद की सजा होगी या फिर फांसी होगी.
इसी तरह से बीएनएस 64(2) के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को कठोर कारावास के साथ उम्रकैद की सजा और जुर्माना होगा या फिर फांसी होगी. इसी तरह से बीएनएस 66 के तहत दर्ज मामलों में 'अपराजिता बिल' के अनुसार, आरोपी को सिर्फ फांसी की सजा होगी. वहीं बीएनएस 70(1) और बीएनएस 70(2) के तहत दर्ज मामलों में 'अपराजिता बिल' के मुताबिक, आरोपी को कठोर कारावास के साथ उम्रकैद या फिर फांसी की सजा होगी. हालांकि, 'अपराजिता बिल' कानून का रूप तभी लेगा जब इस पर राष्ट्रपति के साइन होंगे.
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