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हिटलर के अलावा इस तानाशाह ने किया था सबसे बड़ा नरसंहार, लाखों लोगों की हुई थी मौत

दुनियाभर में जब तानाशाही की बात होती है, तो सबसे पहले हिटलर का जिक्र होता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे तानाशाह के बारे में बताएंगे, जिसने हिटलर को हराया भी था और लाखों लोगों को मौत के घाट उतारा था.

दुनिया में जब भी कभी नरसंहार की बात होती है, तो अधिकांश लोगों के मुंह पर हिटलर का नाम आता है. लेकिन आज हम आपको हिटलर के अलावा एक ऐसे तानाशाह के बारे में बताने वाले हैं, जिसने अपने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. जी हां आज हम आपको ताकतवर नेता और तानाशाह स्टालिन के बारे में बताएंगे. 

कौन था स्टालिन

बता दें कि जोसेफ स्टालिन 1929 से 1953 तक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (यूएसएसआर) संघ का तानाशाह था। स्टालिन 1941 से 1953 तक सोवियत संघ के प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्यरत रहा। स्टालिन के शासन के दौरान सोवियत संघ एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से एक औद्योगिक और सैन्य महाशक्ति में बदल गया था। हालांकि, उसका शासन आतंक से भरा हुआ था और उसके क्रूर शासन के दौरान लाखों सोवियत नागरिक मारे गए थे।

कब हुआ जन्म

स्टालिन का जन्म 6 दिसंबर 1878 को जॉर्जिया में गोरी नामक स्थान पर हुआ था। स्टालिन के बचपन का नाम जोसेफ विसारियोनोविच ज़ुगाशविली था। जब स्टालिन का जन्म हुआ था, तब जॉर्जिया रूस के बादशाह जार के साम्राज्य का हिस्सा था। स्टालिन के माता-पिता बेसारियन जुगाशविली और एकातेरिन गेलाद्ज़े थे। जोसेफ स्टालिन से पहले उनके कई बच्चे हुए लेकिन स्टालिन जीवित बचने वाला उनका एकमात्र बच्चा था। बेसारियन किसी अन्य व्यक्ति के दुकान में एक मोची का काम करता था, वहीं मां दूसरों के घरों में कपड़े धोने का काम करती थी।

चर्च में की पढ़ाई

स्टालिन ने 1888 से 1894 तक गोरी के एक चर्च स्कूल में पढ़ाई की थी. इसके बाद उसने पादरी बनने की शिक्षा प्राप्त करने के लिए तिफ्लिस थियोलॉजिकल सेमिनरी में दाखिला लिया, लेकिन कुछ ही समय बाद उसे लगा कि उसको धार्मिक किताबों में बिल्कुल भी रुचि नहीं है. वह कार्ल मार्क्स की किताबें खूब पढ़ता था. स्टालिन 19 वर्ष की उम्र में ही मार्क्स के सिद्धांतों पर आधारित एक गुप्त संस्था का सदस्य बन गया था.

कहां से हुई थी शुरूआत

जानकारी के मुताबिक साल 1924 में लेनिन की मौत हो गई थी. इसके बाद जोसेफ स्टालिन ने खुद को लेनिन के वारिस के तौर पर पेश किया था. हालांकि पार्टी के बहुत से नेता ये समझते थे कि लेनिन के बाद लियोन ट्राटस्की ही उनके वारिस होंगे. इस दौरान जोसेफ स्टालिन ने अपने विचारधारा का खूब प्रचार किया था. स्टालिन कहा करता कि उसका मकसद सिर्फ सोवियत संघ को मज़बूत करना है ना ही की पूरी दुनिया में इंकलाब लाना है. जब ट्रॉटस्की ने स्टालिन की योजनाओं का विरोध किया, तब जोसेफ स्टालिन ने उन्हें देश से निकाल दिया. 1920 तक जोसेफ स्टालिन सोवियत संघ का एक बहुत बड़ा तानाशाह बन चुका था.

लाखों लोगों को नरसंहार

इतिहासकारों के मुताबिक जोसेफ़ स्टालिन ख़ुद को एक नरमदिल और देशभक्त नेता के तौर पर प्रचारित करते थे. लेकिन स्टालिन अक्सर उन लोगों को मरवा देते थे, जो भी उनका विरोध करता था. मरने वालों में सेना के लोग, कम्युनिस्ट पार्टी के लोग भी शामिल थे. कहा जाता है कि स्टालिन ने पार्टी की सेंट्रल कमेटी के 139 में से 93 लोगों को मरवा दिया था. इसके अलावा उन्होंने सेना के 103 जनरल और एडमिरल में से 81 को मरवा दिया था. इतना ही नहीं स्टालिन की ख़ुफ़िया पुलिस बड़ी सख़्ती से उनकी नीतियां लागू करती थी. इसी दौरान साम्यवाद का विरोध करने वाले तीस लाख लोग साइबेरिया के गुलाग इलाक़े में रहने के लिए ज़बरदस्ती भेजा गया था. इसके अलावा क़रीब साढ़े सात लाख लोगों को मरवा दिया गया था.

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