APJ Abdul Kalam Death Anniversary: पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अबुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक थे. उन्होंने भारत को साइंस की दुनिया में नई पहचान दिलाने का काम किया. उनके काम की बदौलत ही उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है. उन्होंने भारत को 6 ऐसी अनमोल मिसाइलें दीं जिन्होंने देश को एक नई पहचान दिलाई. चलिए उनके द्वारा बनाई गई मिसाइलों और उनकी शक्तियों के बारे में जानते हैं.


डॉ. कलाम ने बनाई थीं ये मिसाइलें


बह्मोस क्रूज मिसाइल- -ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. खास बात ये है कि इसे पनडुब्बी से ही नहीं बल्कि पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है. इस मिसाइल की रफ्तार 2.8 मैक है जो आवाज की रफ्तार के बराबर मानी जाती है. इसके अलावा भी इसमें कई खासियतें हैं.


पृथ्वी मिसाइल-1- पृथ्वी मिसाइल-1 पांच सौ से हजार किलोग्राम वजन तक के अस्त्र लेजाने में सक्षम है. इसका पहला पएक्षेपण 25 फरवरी 1988 को हुआ था. इसकी रेज 200-250 किलोमीटर है. साथ ही ये भारी हथियारों को लाने-लेजाने में भी सक्षम है.


अग्नि मिसाइल-1- पहली अग्नि मिसाइल-1 का परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था. ये मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है. इसकामारक क्षमता 700 किलोमीटर है, जो मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल है.


त्रिशूल मिसाइल- ये मिसाइल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो त्रिशूल कम दूरी से भी जमीन से हवा में मार करने की क्षमता रखती है. इसे कम उड़ान पर हमला करने वाली मिसाइलों के खिलाफ समुद्री जहाज से एक विरोधी तलवार तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.


आकाश मिसाइल- अकाश मिसाइल स्वदेशी तकनीक से निर्मित है जिसे कम दूर की सतह से हवा में छोड़ा जा सकता है. इस मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया था जो 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट बना सकती है. इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों को बेअसर करने की भी ताकत है.


नाग मिसाइल- ये तीसरी पीढ़ी की मिसाइल है. जो स्वदेश निर्मित टैंक भेदी मिसाइल है. ये उन पांच मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से विकसित की गई है. इस मिसाइल की मारक शक्ति 4 किलोमीटर है. इस मिसाइल कोदागो और भूल जाओटैंक रोधी मिसाइल भी कहा जाता है. दरअसल एक बार इसे दागे जाने के बाद दोबारा निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं होती.


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