जब इन मुस्लिम देशों ने किया था इजरायल पर हमला, महज इतने दिन में अकेले दी थी मात
अरब-इजराइल युद्ध के बारे में क्या आपने सुना है. जब 1967 में इजराइल ने अकेले अरब देशों को मात दी थी. जानिए कैसे शुरू हुआ था युद्ध और महज 6 दिनों में इजराइल ने कैसे मात दिया था.
इजरायल द्वारा गाजा में लगातार बमबारी और एयर स्ट्राइक जारी है. बता दें कि एक ताजा हवाई हमले में 100 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों के मारे जाने की खबर सामने आई है. लेकिन आज हम आपको अतीत में हुए एक ऐसे युद्ध के बारे में बताएंगे, जिसमें कई अरब देशों ने इजरायल पर हमला किया था. लेकिन इजरायल ने महज 6 दिन में सभी देशों को मात दी थी. जानिए कब और कैसे शुरू हुआ ये युद्ध शुरू हुआ था.
युद्ध
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध रूकने का नाम नहीं ले रहा है. फ़िलिस्तीनी समाचार एजेंसी के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि पूर्वी गाजा में विस्थापित लोगों के आवास वाले एक स्कूल को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हमले में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं.
अरब देशों का इसराइल पर हमला
आज हम आपको इतिहास के उस युद्ध के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आपने शायद नहीं सुना होगा. बता दें कि 57 साल पहले इजराइल और उसके पड़ोसियों के बीच युद्ध शुरू हुआ था, जिसे 1967 के अरब-इसराइल युद्ध के नाम से जाना जाता है. 1948 के आख़िर में इजराइल के अरब पड़ोसियों ने उस पर हमला कर दिया था, उस युद्ध में इन सभी देशो की कोशिश इजराइल को नष्ट करने की थी, लेकिन वे नाकाम हुए थे.
बता दें कि अरब और इजराइल के संघर्ष की छाया मोरोक्को से लेकर पूरे खाड़ी क्षेत्र पर है. गौरतलब है कि 14 मई 1948 को पहला यहूदी देश इजराइल अस्तित्व में आया था. जिसके बाद यहूदियों और अरबों ने एक-दूसरे पर हमला शुरू कर दिया था. लेकिन यहूदियों के हमलों से फ़लस्तीनियों के पाँव उखड़ गए और हज़ारों लोग जान बचाने के लिए लेबनान और मिस्र भाग खड़े हुए थे. वहीं 1948 में इसराइल के गठन के बाद से ही अरब देश इजराइल को जवाब देना चाहते थे.
कैसे शुरू हुआ युद्ध
जानकारी के मुताबिक जनवरी 1964 में अरब देशों ने फ़लस्तीनी लिबरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन पीएलओ नामक संगठन की स्थापना की थी. 1969 में यासिर अराफ़ात ने इस संगठन की बागडोर संभाल ली थी. इसके पहले अराफ़ात ने 'फ़तह' नामक संगठन बनाया था, जो इसराइल के विरुद्ध हमला करके काफी चर्चा में आ चुका था.
1967 युद्ध
इसराइल और इसके पड़ोसियों के बीच बढ़ते तनाव ने युद्ध का रूप ले लिया था. यह युद्ध 5 जून से 11 जून 1967 तक चला था और इस दौरान मध्य पूर्व संघर्ष का स्वरूप बदल गया था. इसराइल ने मिस्र को ग़ज़ा से, सीरिया को गोलन पहाड़ियों से और जॉर्डन को पश्चिमी तट और पूर्वी यरुशलम से धकेल दिया था. इसके कारण पाँच लाख फ़लस्तीनी बेघर हो गये थे.
अमेरिका ने किया था युद्ध रोकने का प्रयास
1967 में मध्य-पूर्व में हालात बिगड़ने के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने दोनों पक्षों को आगाह किया था. वहीं अमेरिका ने कहा था कि कोई भी पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ पहले गोली नहीं चलाएगा. उन्होंने जलडमरूमध्य का रास्ता तिरान को फिर से खुलवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास का समर्थन किया था.
लेकिन अमेरिकी प्रयास का बहुत महत्व नहीं रहा, जून 1967 की शुरुआत में इजरायली नेताओं ने अरब की सेना से मुकाबले की वकालत करनी शुरू कर दी थी. 5 जून 1967 को इजरायल की वायुसेना ने अपना ऑपरेशन फोकस शुरू किया और मिस्र के हवाई ठिकानों पर अटैक किया था. इजरायल के करीब 200 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और मिस्र की वायुसेना के ठिकानों को निशाना बनाया था.
इतना ही नहीं इजरायल के इस हमले से मिस्र चौक गया था. इजरायल ने मिस्र के 18 विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाया और मिस्र की वायुसेना को 90 फीसदी तक तबाह कर दिया था. इसके बाद इजरायल ने अपने हमले का रुख जॉर्डन, सीरिया और इराक की वायु सेना की तरफ किया था और उन्हें तबाह कर दिया था.
वहीं 5 जून 1967 की शाम तक इजरायली वायुसेना ने मध्य पूर्व के आसमान पर अपना कब्जा जमा लिया था. आसमान में इजरायल ने पहले ही दिन करीब करीब जंग में जीत हासिल कर ली थी, लेकिन जमीन पर यह युद्ध अगले कई दिनों तक जारी था. क्योंकि मिस्र में जमीनी युद्ध 5 जून से शुरू हुआ था. वहीं हवाई हमलों के साथ इज़रायली टैंक और सेना सीमा पार करके सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी में घुस गई थी.
उस दौरान मिस्र की सेना भी पूरी बहादुरी से लड़ी थी. लेकिन बाद में मिस्र के फील्ड मार्शल अब्देल हकीम आमेर की तरफ से मोर्चे से पीछे हटने का दे दिया था. जॉर्डन ने छह दिन चले इस जंग में इजरायल की जीत को झूठा करार दिया था. उसने यरुशलम में इजरायली ठिकानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. वहीं इज़रायल ने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक पर जॉर्डन के विनाशकारी पलटवार का जवाब दिया और 7 जून को इजरायली जवानों ने यरुशलम की पवित्र धरती पर कब्जा जमा लिया था और वेस्टर्न वॉल पर प्रार्थना करके अपनी जीत का जश्न मनाया था.
वहीं जंग के अंतिम चरण में इजरायली सेना 9 जून 1967 को सीरिया की उत्तरी सीमा पर पहुंच गई थी. वहीं भारी बमबारी के बाद इजरायल ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया था, जिसे गोलन गोलन हाइट्स कहा जाता है. 10 जून 1967 संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद संघर्षविराम का समझौते के साथ यह जंग खत्म हुई थी. लेकिन 6 दिन के इस युद्ध ने मध्यपूर्व का नक्शा बदल दिया था. अपनी हार से अरब के नेता आश्चर्यचकित थे. वहीं मिस्र के राष्ट्रपति नासिर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
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