जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं. इस चुनाव में शेख अब्दुल्ला की पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और इसी ने राज्य में सरकार भी बनाई. नेशनल कांफ्रेंस के नेता और शेख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला अब सूबे के मुख्यमंत्री हैं.
हालांकि, आजकल वह अपने सीएम होने की वजह से नहीं बल्कि, इस वजह से चर्चा में हैं क्योंकि उन्होंने घोषणा की है कि वह बतौर मुख्यमंत्री वीआईपी यानी सीएम ट्रैफिक प्रोटोकॉल का लाभ नहीं लेंगे. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में इसके बारे में बताते हैं कि आखिर वीआईपी प्रोटोकॉल क्या होता है और क्या वीआईपी लोग अपनी पर्सनल कार का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
पहले वीआईपी प्रोटोकॉल के बारे में समझिए
वीआईपी यानी Very Important Person. जैसे कि सरकारी अधिकारी, मंत्री या अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति. ये लोग जब किसी पब्लिक प्लेस पर जाते हैं तो इनके साथ एक प्रोटोकॉल होता है, जिसे हम वीआईपी प्रोटोकॉल कहते हैं. इसमें सुरक्षा व्यवस्था, क्लीयर ट्रैफिक और कई चीजों का ध्यान रखा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इनके ऊपर कोई खतरा ना हो.
क्या वीआईपी पर्सनल कार इस्तेमाल कर सकते हैं
वीआईपी लोगों को सरकार की तरफ से पहले से ही गाड़ियां मिली होती हैं. ज्यादातर वीआईपी इसी में जाते हैं. लेकिन, अगर कोई वीआईपी अपनी पर्सनल कार इस्तेमाल करना चाहता है तो वह सुरक्षा में लगी एजेंसी की परमिशन के साथ ऐसा कर सकता है. अगर एजेंसी परमिशन नहीं देगी तो वीआईपी को सरकारी गाड़ी में ही जाना होगा.
क्यों नहीं इस्तेमाल करने देते पर्सनल कार
दरअसल, जो गाड़ी किसी वीआईपी को दी जाती है वह सरकारी एजेंसियों द्वारा पूरी तरह से जांची परखी होती है. इसके अलावा उसमें कुछ एडवांस सुविधाएं भी होती हैं जो खतरे वाली परिस्थिति में वीआईपी को बचाने में काम आती हैं. इसके अलावा वीआईपी दिनभर में कई ऐसी जगहों पर जाते हैं, जहां पर्सनल गाड़ियों को आने की इजाजत नहीं होती. ऐसे में अगर वीआईपी सरकारी गाड़ी में है तो उसे और सुरक्षा एजेंसियों को आसानी होती है. यही वजह है की पीएम हों या सीएम या फिर कोई मंत्री ये सभी वीआईपी हमेशा ट्रेवेल करने के लिए उसी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा एजेंसियों से मिली होती हैं.
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