महाभारत के युद्ध में अगर पांडवों की तरफ अर्जुन ना होते तो शायद कौरवों से युद्ध जीतना पांडवों के लिए इतना आसान नहीं होता. दरअसल, अर्जुन के पास ऐसे-ऐसे दिव्यास्त्र थे जो पूरे युद्ध में सिर्फ कुछ ही चुनिंदा योद्धाओं के पास थे. अब तक लोगों को सिर्फ अर्जुन के ब्रह्मास्त्र के बारे में ही पता है, लेकिन ब्रह्मास्त्र से इतर अर्जुन के पास कई और खतरनाक दिव्यास्त्र भी थे. आज हम आपको उन्हीं दिव्यास्त्रों के बारे में बताएंगे.


अर्जुन का दूसरा सबसे खतरनाक दिव्यास्त्र पशुपतास्त्र


पशुपतास्त्र भगवान शिव का दिया हुआ अस्त्र था. यह एक ऐसा अस्त्र था जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आंख, दिल और शब्दों को नियंत्रित कर सकता था. यहां तक कि अर्जुन ने इसी अस्त्र से जयद्रथ का वध किया था.


अर्जुन का तीसरा सबसे खतरनाक दिव्यास्त्र वज्र अस्त्र


अर्जुन को वज्र अस्त्र भगवान इंद्र ने दिया था. देवताओं के राजा इंद्र ने अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें महेंद्र अस्त्र और शक्ति अस्त्र भी दिया था. कहा जाता है कि यह दिव्यास्त्र इतने ज्यादा शक्तिशाली थे कि उन्होंने महाभारत में पूरे युद्ध को पांडवों के पक्ष में कर दिया था.


अर्जुन का चौथा सबसे खतरनाक दिव्यास्त्र यमदंड अस्त्र


पूरे महाभारत युद्ध में यमदंड अस्त्र का ज्ञान सिर्फ अर्जुन के पास था. मृत्यु के देवता यम ने अर्जुन को स्वयं यह अस्त्र दिया था. इस अस्त्र का प्रयोग तभी किया जाता है जब योद्धा के पास और कोई चारा न बचे. कुल मिलाकर कहें तो यह अस्त्र ब्रह्मास्त्र की तरह ही अचूक था.


अर्जुन का पांचवा सबसे खतरनाक दिव्यास्त्र वरुणपास अस्त्र


वरुण पास अस्त्र अर्जुन को वायु के देवता वरुण देवता से मिला था. कहा जाता है कि यह दिव्यास्त्र इतना ज्यादा खतरनाक था कि अगर इसका इस्तेमाल देवताओं पर भी कर दिया जाए तो उनका भी बचना लगभग नामुमकिन था. ऐसे तो यह अस्त्र नागपाश अस्त्र की तरह ही था, लेकिन इसकी शक्तियां नागपाश अस्त्र से कहीं ज्यादा थीं.


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