अब AI रोकेगा ट्रेन और हाथी का एक्सीडेंट, जानें कैसे काम करेगी ये तकनीक
Artificial Intelligence In Railway: हाथी और ट्रेन की टक्कर होने से बचाने वाली आईडीएस प्रणाली को लेकर एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है.
Elephant Accident With Train: भारतीय रेल नेटवर्क लगभग 68 हजार किलोमीटर लंबा है. रेल की पटरियां शहरों, गांवों सहित जंगलों से भी होकर गुजरती है. ऐसे में अक्सर ट्रेन से टकराकर जंगली जानवरों की मौतें होती रहती हैं. CAG की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 से 2021 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 63,000 से अधिक जानवरों की मौत हुई. जिनमें 73 हाथी भी शामिल हैं. हाथी के ट्रेन से टकराने पर उसे तो चोट लगती ही है, साथ ही ट्रेन को भी काफी नुकसान पहुंचता है. लेकिन, अब रेलवे ने इसका समाधान ढूंढ लिया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हाथी और ट्रेन की टक्कर होने से रोकी जा सकेगी. आइए जानते हैं यह तकनीक कैसे काम करती है.
AI रोकेगा टक्कर
हाथी और ट्रेन की टक्कर होने से बचाने वाली इस AI आधारित घुसपैठ जांच प्रणाली (आईडीएस) को लेकर एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है. इसमें ऑप्टिकल फाइबर के इस्तेमाल से ट्रेन की पटरियों के आसपास जंगली जानवरों की गतिविधियों का पता लगाया जा सकेगा. जिसके बारे में सेंसरों से नियंत्रण कार्यालयों, स्टेशन मास्टर, गेटमैन और लोको पायलटों को सतर्क किया जा सकेगा.
फाइबर ऑप्टिक साउंड से मिलेगी जानकारी
डायलिसिस स्कैटरिंग घटना के सिद्धांत पर काम करने वाली यह फाइबर ऑप्टिक-आधारित ध्वनिक प्रणाली वास्तविक समय में रेलवे ट्रैक पर हाथियों की उपस्थिति की जानकारी देगी.
60 किलोमीटर तक होगी निगरानी
यह एआई-आधारित सॉफ्टवेयर 60 किलोमीटर की दूरी तक रेलवे ट्रैक की निगरानी कर सकता है. इसके अलावा, यह रेल फ्रैक्चर, रेलवे ट्रैक पर अतिक्रमण करने और रेलवे पटरियों के पास अनधिकृत खुदाई के कारण पटरियों आदि के पास भूस्खलन जैसी घटनाओं की चेतावनी देने में भी मदद करेगा.
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर AI आधारित घुसपैठ जांच प्रणाली (आईडीएस) की स्थापना के लिए एक समझौता भी साइन कर लिया है. एनएफआर के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने बताया कि ट्रेन और हाथियों की टक्कर को रोकने वाली यह आईडीएस टेक्नोलॉजी पश्चिम बंगाल राज्य के चलसा-हसीमारा खंड और असम में लुमडिंग डिवीजन के तहत लंका-हवाईपुर खंड में भी शुरू की गई थी. जिसके बाद इसके असरदार परिणाम मिले और यह सफल रही.
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