Artificial Rain: दिवाली के समय में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद बढ़ गया था. जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है जाती है वैसे-वैसे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता ही जाता है. लेकिन प्रदूषण के मामले में दिल्ली नहीं बल्कि पाकिस्तान का लाहौर शहर पहले नंबर पर. और इसी के चलते आज से तीन दिन पहले पाकिस्तान के लाहौर शहर में आर्टिफिशियल बारिश करवाई गई. जिससे प्रदूषण की मात्रा को कम किया जा सके. पाकिस्तान में हुई इस आर्टिफिशियल बारिश से भारत में कितना फ़ायदा हुआ है? आइए जानते है.
पाकिस्तान में करवाई गई आर्टिफिशियल बारिश
लाहौर पाकिस्तान का सबसे प्रदूषित शहर है. लाहौर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आता है. पंजाब प्रांत में फिलहाल केयरटेकर मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी संभाल रहे हैं. मोहसिन नकवी ने बताया कि पंजाब पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में उनके पास आर्टिफिशियल बारिश करवाने की टेक्नोलॉजी का खर्च उठाना जरा मुश्किल काम था. मोहसिन नकवी ने बताया कि 10-12 दिन पहले यूएई से दो प्लेन पाकिस्तान आए थे जिनसे लाहौर के 10 इलाकों के 15 किलोमीटर एरिया में आर्टिफिशियल बारिश करवाई गई.
भारत को होगा फायदा
पाकिस्तान में लाहौर के 10 इलाक़ों में ये आर्टिफिशियल बारिश हुई. जिसमें वातारण में एक पॉज़िटिव चेंज देखने को मिला. प्रदूषण का स्तर कम हुआ. लाहौर में हुई इस बारिश से भारत को भी यक़ीनन फ़ायदा होगा. लाहौर भारत के सबसे करीबी शहरों में से है. ऐसे में जब लाहौर का वातावरण ठीक होगा तो भारत में लाहौर से सटे क्षेत्रों का वातावरण भी सही रहेगा.
क्या होती है आर्टिफिशियल बारिश?
पाकिस्तान के लाहौर में हाल ही में आर्टिफिशियल बारिश करवाई गई है. बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए यह फैसला लिया गया था. अब जानते हैं क्या होती है आर्टिफिशियल बारिश? आर्टिफिशियल बारिश जिसे क्लाउड सीडिंग कहा जाता है यह तकनीक है जिससे मौसम में बदलाव लाया जा सकता है. आर्टिफिशियल बारिश को करवाने के लिए सबसे पहले जो चीज जरूरी है वह है बादल. अगर बदल नहीं होंगे तो यह तकनीक इस्तेमाल नहीं की जा सकती.
आर्टिफिशियल बारिश करवाने के लिए एयरोप्लेन या हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हुए बादलों में सिल्वर आयोडाइड या पोटेशियम आयोडाइड जैसे पदार्थ का छिड़काव किया जाता है. इन पदार्थों के चलते ही आसपास पानी की बूंदे बनने लगते हैं. आसान शब्दों में कहें तो इस तकनीक के सहारे बादलों से बारिश करवाई जाती है. ऐसा नहीं है कि इस तकनीक से बादल बनाए जाते हैं. बस यह तकनीक बादलों से जल्दी बारिश करवाने में सक्षम है.
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