दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने गिरफ्तारी के बाद अब तक इस्तीफा नहीं दिया है और अब उनकी पार्टी का कहना है कि वो जेल से ही सरकार चलाएंगे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कोई जेल से कैसे सरकार चला सकता है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर लोग ये भी पूछ रहे हैं कि क्या ये संभव है कि कोई मुख्यमंत्री जेल से चिट्ठियों के जरिए सुचारू रूप से सरकार चला सकता है? चलिए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर जेल में बंद कोई कैदी एक दिन में या एक महीने में कितनी चिट्ठियां लिख सकता है.


कैदी कितनी चिट्ठी लिख सकता है?


इस सवाल को लेकर जब हमने गूगल के पन्ने पलटे तो हमें गृह मंत्रालय की एक पुरानी पीडीएफ रिपोर्ट मिली. इसके अनुसार, सजायाफ्ता कैदी को हफ्ते में एक चिट्ठी लिखने की इजाजत है और अंडरट्रायल कैदी को एक हफ्ते में दो चिट्ठी लिखने की इजाजत है.


दिल्ली का जेल मैनुअल क्या कहता है?


दिल्ली जेल मैनुअल के अनुसार, यहां जेल में बंद कैदी को ये अधिकार होता है कि वह जितने चाहे उतने लेटर लिख सकता है. हालांकि, इसके लिए उसे जेल से खर्च नहीं मिलेगा. यानी जेल में बंद कैदी अपने खर्चे पर जितने चाहे उतने लेटर लिख सकता है. लेकिन लेटर को बाहर भेजने से पहले उसे एक बार चेक किया जाता है और अगर लेटर में लिखी किसी बात से जेल की सुरक्षा में सेंध लगती हो तो फिर कैदी को कहा जाता है कि वह लेटर के उस हिस्से को ना लिखे.


जेल में कैसे पैसा कमाते हैं कैदी?


जेल में बंद कैदियों को उनके काम के अनुसार पैसा मिलता है. हालांकि, ये पैसा करेंसी में नहीं कूपन में मिलता है. अब सवाल उठता है कि जेल में बंद कैदियों को कितना पैसा मिलता है. आपको बता दें, जेल में कैदियों को तीन वर्गों में बांटा गया है. कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल. इसी के अनुसार कैदियों को पैसा और काम मिलता है. 2015 के जेल आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के तिहाड़ जेल में कुशल अभियुक्तों, अर्द्ध कुशल अभियुक्तों और अकुशल अभियुक्तों को क्रमशः 171 रुपये, 138 रुपये और 107 रुपये दिए गए.


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