Asteroid 2004 UU1: नासा ने हाल ही में एक ऐसा खुलासा किया है, जिसके सामने आने के बाद से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है. नासा ने अपनी स्पेस और जमीन पर मौजूद दूरबीनों की मदद से पृथ्वी से गुजरने वाले अब तक के सबसे बड़े एस्टेरॉयड की जानकारी सामने लाई है. बताया जा रहा है कि यह भारत के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से भी बड़ा हो सकता है. यह 30 अक्टूबर को पृथ्वी से गुजर सकता है. एस्टेरॉयड 2004 UUI के पृथ्वी से लगभग 4 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजरने की उम्मीद की जा रही है. बता दें कि यह अपनी कक्षा से पृथ्वी की तरफ 62 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहा है. यह स्पीड एक अंतरिक्ष यान के बराबर है.


स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से भी बड़ा है यह एस्टेरॉयड


इस एस्टेरॉयड की खासियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं. इसकी लंबाई विश्व के सबसे बड़े स्टैचू से भी बड़ी है. बता दें कि विश्व का सबसे बड़ा स्टैचू भारत का स्टैचू ऑफ यूनिटी है, जिसकी लंबाई 182 मीटर है जबकि इस एस्टेरॉयड की लंबाई 188 मीटर के करीब है. कुतुब मीनार की तो ऊंचाई मात्र 72 मीटर है. उसके तुलना में तो बहुत अधिक बड़ा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि नासा ने इन एस्टेरॉयड की दिशा बदलने वाली तकनीक भी विकसित की है, जिससे कि पृथ्वी पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. नासा को विश्व की सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी में से एक माना जाता है. आज इस एस्टेरॉयड पर रिसर्च करने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजर रहेगी.


अपोलो समूह से है इसका कनेक्शन


यह एस्टेरॉयड पृथ्वी के पास मौजूद अपोलो समूह से संबंधित है. इनका नाम 1930 के दशक में एक जर्मन खगोल शास्त्री रेनुमुथ द्वारा खोज के 1862 अपोलो एस्टेरॉयड के नाम पर रखा गया है.  नासा के मुताबिक इस एस्टेरॉयड की खोज सबसे पहले 30 अक्टूबर 2004 को की गई थी, जो लिंकन नियर अर्थ एस्टेरॉयड रिसर्च परियोजना से संबंधित थी. 


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