NASA: नासा और दुनिया की बाकी अंतरिक्ष एजेंसियों की नजर इस समय एक विशेष एस्टेरॉइड पर टिकी हुई हैं. यह इस दशक में पृथ्वी के बेहद करीब पहुंचेगा. इससे वैज्ञानिकों को इसका अध्ययन करने का मौका भी मिलेगा. अक्सर एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब पहुंच जाते हैं. हालांकि, वो कम से कम हजारों किलोमीटर की सुरक्षित दूरी पर होते हैं, लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि कोई भी एस्टेरॉयड कभी भी पृथ्वी से नहीं टकरा सकता है.


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस एस्टेरॉयड के पहले पृथ्वी से टकराने की आशंका जताई जा रही थी. हालांकि, अब यह पता लगाया गया है कि यह पृथ्वी की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा.


यह 27376 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार


नासा के सेंटर फॉर नियर -अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज ने इस एस्टेरॉयड को Asteroid 2023 FS10 नाम दिया गया है. साथ ही नासा की ओर से इसके पथ, निकटतम दूरी और अपेक्षित गति का भी खुलासा किया है. नासा ने बताया कि 12 अप्रैल को यह पृथ्वी से 12 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा. यह 27376 किलोमीटर प्रति घंटे की भयानक गति से चल रहा है. नासा के अनुमान के मुताबिक, यह अंतरिक्ष चट्टान लगभग 67 फीट चौड़ी है, यानी यह करीब एक विमान जितना बड़ा है. यह एस्टेरॉयड के अपोलो समूह से संबंधित है.


वैसे तो आंकलन है कि यह पृथ्वी से टकराएगा नहीं, अगर कभी भविष्य में ऐसा होता है तो जिस जगह पर ये टकराता है, उस पॉइंट के आस-पास का लंबा एरिया प्रभावित होता है. ना सिर्फ उस स्थान पर बड़ा सा गड्ढा होता है, बल्कि अगर वहां आबादी है तो उन्हें भी काफी नुकसान हो सकता है.  


नासा कैसे करता है एस्टेरॉयड को ट्रैक?


नासा भू-आधारित और अंतरिक्ष-आधारित दूरबीनों के संयोजन का उपयोग करके क्षुद्रग्रहों को ट्रैक करता है. नासा का Asteroid Terrestrial- impact Last Alert System (ATLAS) चलती रात को आकाश में गति करती हुई वस्तुओं को स्कैन करता है और किसी भी संभावित एस्टेरॉयड की पहचान की रिपोर्ट करता है. जबकि कुछ स्पेस ऑब्जर्वेटरी क्षुद्रग्रहों और उनकी विशेषताओं का पता लगाने के लिए इन्फ्रारेड सेंसर का इस्तेमाल करती हैं. 


यह भी पढ़ें - हैंड ड्रायर से हाथ सुखाना सुरक्षित नहीं, रिपोर्ट में हुआ खुलासा! इस तरह हाथों पर पड़ता है असर