अंतरिक्ष में पृथ्वी, ग्रह, तारों के अलावा भी काफी कुछ हैं, जिनमें उल्कापिंड भी शामिल है. अंतरिक्ष में उल्कापिंड भी काफी तेजी से घूमते रहते हैं और कई बार ऐसा होता है कि ये पृथ्वी की ओर भी आ जाते हैं या पृथ्वी की सतह से टकरा जाते हैं. इसी क्रम में एक उल्कापिंड पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है और खास बात ये है कि ये साइज में काफी बड़ा है और पृथ्वी की तरफ काफी तेजी से बढ़ रहा है. नासा के कैमरे में कैद हुए इस उल्का पिंड ने चिंता भी बढ़ा दी है कि अगर ये पृथ्वी से टकराता है तो काफी नुकसान हो सकता है. 


ऐसे में आज जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये एस्टेरॉइड कैसा है और इसे लेकर क्या अंदेशा लगाया जा रहा है. साथ ही जानने की कोशिश करते हैं कि अगर इतना बड़ा एस्टेरॉइट पृथ्वी से टकराता है तो क्या नतीजा होगा...


क्या है इस एस्टेरॉइड की कहानी?


अधिकांश एस्टेरॉइड बृहस्पति और मंगल की कक्षाओं के बीच के अंतरिक्ष क्षेत्र में पाए जाते हैं. ये भी अन्य ग्रहों की तरह घूमते रहते हैं और कई बार इनकी दूसरे खगोलीय पिंडों से टक्कर हो जाती है. अब नासा की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसा ही एक एस्टेरॉइ़ड या कोई बड़ी सी चट्टान पृथ्वी की ओर बढ़ रही है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ये एस्टेरॉइड पृथ्वी की तरफ काफी तेजी से बढ़ रहा है. 


बता दें कि नासा के  सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज ने इस एस्टेरॉइड को एस्टेरॉइड 2023 एमजी6 नाम दिया है. एस्टेरॉइड 2023 एमजी6 पृथ्वी के करीब से गुजरेगा और उम्मीद है कि इससे पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं है. ये पृथ्वी की तरफ आ रहा है, लेकिन कुछ दूरी से गुजर जाएगा. बता दें कि ये पृथ्वी से 2.26 मिलियन मील दूरी से गुजर जाएगा और इसके पृथ्वी की ओर आने की स्पीड 44562 किलोमीटर प्रति घंटा है. अंदाजा है कि ये अभी तक गुजर गया होगा.  


अगर इसके आकार की बात करें ये एस्टेरॉइड 2023 एमजी6 910 फुट का है, जो कुतुब मीनार से भी बड़ा हो है या फिर एक बड़े स्टेडियम जितना बड़ा पत्थर हो सकता है. ये अमोर ग्रुप का एस्टेरॉइड बताया जा रहा है. अमोर एस्टेरॉइड पृथ्वी ओर मंगल के बीच पाए जाते हैं और इस पर एक एस्टेरॉइड पृथ्वी के करीब से निकला है. 


अगर टकरा जाए तो क्या होगा?


दरअसल ये काफी भारी पत्थर जैसे होते हैं और काफी तेज स्पीड से पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं. ये जिस जगह पृथ्वी से टकराते हैं, वहां काफी नुकसान होता है. जब ये पृथ्वी के निकट आते हैं तो हाई स्पीड और डेंस एयर की वजह से जल जाते हैं और वातावरण में ही जल जाते हैं. अगर ये 25 मीटर से छोटा है तो इसका ज्यादा खतरा नहीं होता है और यह पृथ्वी की सतह तक आ सकता है.  अगर एस्टेरॉइड की साइड 25 मीटर से ज्यादा और एक किलोमीटर से कम है तो गिरने वाले स्थान के आस-पास तबाही कर सकता है. ज्यादा बड़ा है तो उसका ज्यादा नुकसान होगा. इसका मतलब ये नहीं है कि ये पृथ्वी को खत्म कर देगा. 


ये भी पढ़ें- ये है दुनिया का सबसे महंगा देश, यहां एक रात होटल में रुकने का औसत किराया भी 25 हजार के आसपास