भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी. आजादी के वक्त देश में एक ऐसा राजा था, जिसके पास उस वक्त सबसे ज्यादा सोना था. कहा जाता है कि उसके पास इतने मोती थे कि अगर चाहता तो लंदन के पिकैडली सर्कस के सारे फुटपाथ उन मोतियों से ढंक देता. हम आज बात कर रहे हैं हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान की. जिसे सिर्फ भारत नहीं दुनिया का सबसे अमीर आदमी कहा जाता था. आज हम आपको मीर उस्मान अली खान से जुड़े कुछ तथ्य बताने वाले हैं.
ट्रकों से भरे थे सोने
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मीर उस्मान अली खान के पास 100 मिलियन पाउंड (45359 टन) से ज्यादा गोल्ड था. इसके अलावा 400 मिलियन पाउंड के आसपास हीरे, मोती, माणिक्य और दूसरे गहने थे. मशहूर इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ”फ्रीडम एट मिडनाइट” में लिखते हैं कि हैदराबाद के निजाम के पास इतना सोना था कि उनके बाग में सोने की ईंट से भरे दर्जनों ट्रक कीचड़ में खड़े रहते थे. क्योंकि इन ट्रकों का वजन इतना ज्यादा होता था कि उनके पहिए धंस चुके थे. इसके अलावा उस वक्त निजाम के पास इतने मोती थे कि चाहते तो लंदन के मशहूर पिकैडली सर्कस के सारे फुटपाथ उससे ढंक सकते थे.
सरकार को सौंपा था 425 किलो सोना
इतिहासकार बताते हैं कि 1965 में जब भारत चीन की लड़ाई छिड़ी थी, तब उस वक्त के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने फंड जुटाने का अभियान शुरू किया था. इसी दौरान सरकार ने नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम की शुरुआत की थी. जानकारी के मुताबिक निजाम ने इस योजना में 4.25 लाख ग्राम (425 किलो) सोना निवेश किया था. इस बात का जिक्र लाल बहादुर शास्त्री के एक भाषण में भी मिलता है.
वहीं द हिंदू की 11 दिसंबर 1965 की एक रिपोर्ट के मुताबिक लाल बहादुर शास्त्री जब हैदराबाद आए थे, उस वक्त निजाम ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया था. इसके बाद उसी दिन लाल बहादुर शास्त्री ने एक रैली को संबोधित करते हुए निजाम मीर उस्मान अली खान को नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में 4.25 लाख ग्राम सोना निवेश करने के लिए बधाई दी था. जानकारी के मुताबिक उस वक्त उस सोने की कीमत 50 लाख के करीब थी.
भारत के पहले खरबपति
निजाम मीर उस्मान अली खान को भारत का पहला खरबपति भी कहा जाता है. साल 1911 में महज 25 साल की उम्र में निजाम की कुर्सी संभालने वाले उस्मान अली की उस वक्त की कुल संपत्ति अमेरिका की जीडीपी के दो फ़ीसदी के बराबर थी.
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