Atiq Ahmed Shot Dead: अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ (Ashraf) की गोली मार कर हत्या कर दी गई. प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज में मीडिया के सामने हुई गोलीबारी में दोनो भाई ढेर हो गए. सूत्रों की मानें तो अशरफ और अतीक को मीडियाकर्मी बन कर आए दो से तीन बदमाशों ने एक के बाद एक कई गोली मारी. हालांकि, ये दोनों पुलिस कस्टडी में थे इसलिए इसे कस्टोडियल डेथ के तौर पर भी देखा जा रहा है. तो चलिए आपको बताते हैं, क्या होती है कस्टोडियल डेथ और क्या है इससे जुड़ा कानून.


क्या होता है कस्टोडियल डेथ (Custodial Death)


'कस्टोडियल डेथ' का अर्थ होता है जब किसी आरोपी या अपराधी की मौत पुलिस की कस्टडी में हो जाए. या फिर मुकदमे की सुनवाई या न्यायिक हिरासत के दौरान हुई मौत को भी कस्टोडियल डेथ के तौर पर देखा जाता है. अतीक और अशरफ भी पुलिस की हिरासत में थे और इसी दौरान उनकी गोली मार कर हत्या की गई है इसलिए इस मर्डर को कस्टोडियल डेथ के तौर पर देखा जा रहा है. इस हत्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे पुलिस बल का अत्याधिक प्रयोग, पुलिस की लापरवाही या फिर अधिकारियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाना, जिसके कारण आरोपियों या अपराधियों की मौत हो जाए. अतीक वाले मामले में अब तक यह पुलिस की लापरवाही का मामला लग रहा है.


आपको बता दें, अगर इस केस में पुलिस की लापरवाही सिद्ध होती है तो पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 7 और 29 के तहत उन पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी, दंड या निलंबन होगा जिन्होंने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही किया है.


अब तक कितने लोगों की हुई है कस्टडी में मौत


गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को देखें तो पिछले पांच साल में अब तक सबसे ज्यादा लगभग 80 मौतें गुजरात में हुई हैं. वहीं उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां 2017 से 2022 तक कुल 41 लोगों की कस्टडी में मौत हुई है. महाराष्ट्र में पिछले 5 साल में कुल 76 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है. इस हिसाब से महाराष्ट्र कस्टोडियल डेथ के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है. वहीं बिहार में ये आंकड़ा पिछले पांच साल में 38 तक पहुंचा है.


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