Aurangzeb Grave: भारत में कई ऐसी जगह हैं, जो किसी न किसी वजह से मशहूर हैं. इन जगहों पर आज भी बड़ी संख्या में लोग घूमने जाते हैं और सैकड़ों सालों के इतिहास को समझते और जानते हैं. देश में ऐसी ही एक जगह है, जिसे इस्लाम में काफी पवित्र माना गया. इस जगह को भारत में जमीन की जन्नत के नाम से भी जाना जाता था. यही वजह है कि मुगल बादशाह औरंगजेब समेत कई सूफी संतों और रईसों को इसी जगह पर दफनाया गया. 


राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से महज कुछ ही किलोमीटर दूर पड़ने वाले खुल्दाबाद को ही जमीन पर जन्नत का दर्जा दिया गया था. यहां औरंगजेब के मकबरे को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया गया है और अब एएसआई इसकी देखभाल करता है. अब सवाल ये है कि औरंगजेब की मौत के बाद उनका शरीर खुल्दाबाद में ही क्यों दफनाया गया?


कई सूफी संतों की कब्र
दरअसल खुल्दाबाद को तमाम सूफी संत काफी पवित्र जगह मानते थे. कई सूफी संतों की कब्र यहीं बनी, औरंगजेब के सूफी संत सैय्यद जैनुद्दीन की कब्र भी यहीं है. औरंगजेब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उन्हें खुल्दाबाद में ही अपने पीर की कब्र के पास ही दफनाया जाए. इसके अलावा उन्होंने ये भी लिखा कि उनकी कब्र को सजाया न जाए और उसे खुले में रखा जाए. साथ ही उन्होंने ये भी साफ लिखा था कि उनके मकबरे में किसी भी तरह का कोई बड़ा निर्माण नहीं किया जाए. 


खुल्दाबाद में कई सूफी संतों के अलावा कई रईसों को भी दफनाया गया है. देश और दुनिया के तमाम बड़े सूफी संत यहां आते थे और यहीं उन्हें दफनाया भी जाता था. इसके बाद ये परंपरा चल पड़ी और तमाम बडे़ लोगों ने खुद को यहीं दफनाने की इच्छा जताई. यही वजह है कि खुल्दाबाद को दक्षिण भारत में इस्लाम का गढ़ भी कहा जाता था. 


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