ये इंसान अपने शरीर के अंदर ही बना लेते हैं शराब, नशा फुल बोतल से ज्यादा होता है
शरीर के अंदर मौजूद खमीर का प्रकार, वही होता है जिसका इस्तेमाल अन्य अल्कोहलिक ड्रिंक्स को बनाने में किया जाता है. आंतों में शराब बनने के बाद, यह खून में मिल जाता है और इंसान दिनभर नशे में रहता है.
शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. यही वजह है कि हर समझदार व्यक्ति सलाह देता है कि शराब से दूरी बना लो. लेकिन क्या हो अगर शराब अपने आप शरीर के अंदर ही बनने लगे. सिर्फ शराब बनने ही ना लगे, बल्कि उससे खतरनाक नशा भी होने लगे. जी हां, ये बात झूठ नहीं बल्कि सच है. इस धरती पर कुछ इंसान ऐसे हैं, जिनके शरीर के भीतर ही शराब बनती है और इससे उनको नशा भी होता है. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
कैसे शरीर के अंदर बनने लगती है शराब
दरअसल, शरीर के अंदर शराब बनने की वजह एक दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी को ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-brewery syndrome) कहा जाता है. ये बीमारी बेहद रेयर है, इसमें व्यक्ति का शरीर अपने अंदर अपने आप ही शराब (एथेनॉल) बनने लगता है. इसे गट फ़र्मेंटेशन सिंड्रोम (Gut fermentation syndrome) के नाम से भी जाना जाता है.
अब जानिए कि आखिर शरीर में शराब बनती कैसे है. दरअसल, इस बीमारी के समय शरीर के अंदर मौजूद कार्बोहाइड्रेट या शर्करा में मौजूद कण, खमीर (yeast) के साथ क्रिया कर के एथेनॉल में बदल जाते हैं. इसकी वजह से शरीर के अंदर एथेनॉल यानी शराब बनने लगती है. इसकी वजह से अक्सर बीमार व्यक्ति शराब के नशे में रहता है.
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पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझिए
दरअसल, ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम की प्रक्रिया व्यक्ति के पाचन तंत्र के अंदर होती है. इसे ऐसे समझिए कि जब कोई व्यक्ति खाना खाता है, खासकर अगर वह खाना कार्बोहाइड्रेट से भरपूर हो, तो उसके पाचन तंत्र में मौजूद खमीर या फ़ंगस इन तत्वों को शराब में बदलने लगता है. आमतौर पर यह प्रक्रिया छोटी आंत और बड़ी आंत में होती है.
आपको बता दें, शरीर के अंदर मौजूद खमीर का प्रकार, वही होता है जिसका इस्तेमाल बीयर और अन्य अल्कोहलिक ड्रिंक्स को बनाने में किया जाता है. आंतों में शराब बनने के बाद, यह खून में मिल जाता है और इंसान दिनभर नशे में रहता है. अभी हाल ही में बेल्जिएम में एक ऐसा ही केस सामने आया था. एक व्यक्ति ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम से ग्रसित था और उसके शरीर के अंदर अपने आप ही शराब बन रहा था.
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