भारत और विदेश में भी आज उत्तर प्रदेश के अयोध्या की काफी चर्चा हो रही है. मौका भी ऐतिहासिक है. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. भारत की गलियों से लेकर विदेश में भी लोगों की जुबां पर अयोध्या का नाम है. लेकिन, क्या आप जानते हैं जिस रामनगरी की आज चर्चा हो रही है, उसका नाम पहले नाम अयोध्या नहीं था. इस नगरी को दूसरे नाम से जाना जाता था. तो जानते हैं अयोध्या की क्या कहानी है और अयोध्या को पहले किस नाम से जाना जाता था.
अयोध्या के कई पुराने नाम बताए जाते हैं और पुराने दस्तावेजों और कई धार्मिक किताबों में अलग अलग नाम का जिक्र है. माना जाता है कि रामायण काल में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी थी. इसे कई लोग कोसल भी कहते हैं. आपने कई धार्मिक किताबों में कोसरपुर, कोसलराज जैसे शब्दों के बारे में सुना होगा. त्रेतायुग को लेकर कहा जाता है कि अयोध्या में उस दौरान उसे कोसल कहा जाता था.
वहीं, अयोध्या नगर निगम की वेबसाइट के हिसाब से पहले अयोध्या का नाम साकेत हुआ करता था. इसके अलावा इसका नाम अयुद्धा भी माना जाता है और बाद में इसे अयोध्या नाम दिया गया. ऐसे में अयोध्या का नाम कोसल, साकेत, अयुद्धा कई हैं. वहीं सरयू नदी के दूसरे हिस्से को श्रावस्ती कहा जाता था. अब इसे अयोध्या के नाम से जाना जाता था और आज राम मंदिर की वजह से इसकी दुनियाभर में चर्चा है.
कितना भव्य है राम मंदिर?
बता दें कि राम मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी. इसके अलावा मंदिर में 5 मंडप होंगे, जिसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप शामिल है. राम मंदिर में लगे खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.
मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते वहां की धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. जिसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है. वहीं, मंदिर को जमीन की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
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