पूरे देश में आज एक अलग तरह का उत्साह है. 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भले ही अयोध्या में हो रहा है, लेकिन उसको लेकर उत्साह पूरे देश में दिखाई दे रहा है. सबसे बड़ी बात कि विदेशों में भी जहां भारतीय रहते हैं, वहां भी रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर धूम है. हालांकि, आज हम आपको इस आर्टिकल में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से इतर एक ऐसे शहर के बारे में बताएंगे जिसे विदेश का 'अयोध्या' कहा जाता है. हालांकि, वहां इसे अयुथ्या के नाम से जाना जाता है. चलिए इस शहर के बारे में विस्तार से जानते हैं.


थाईलैंड में हिंदू


अयुथ्या शहर थाईलैंड में है. इस देश में करीब 95 फीसदी आबादी बौद्ध है. वहीं हिंदू इस देश में एक फीसदी से भी कम हैं. हालांकि, इसके बाद भी आपको थाईलैंड में ढेर सारे मंदिर देखने को मिल जाएंगे. यानी ये बात तो साफ है कि यहां कभी हिंदू भारी तादात में रहते थे. इतिहास पर जब हम नज़र डालते हैं तो पता चलता है कि थाईलैंड में हिंदू 6वीं सदी से ही जाते रहे हैं.


अयुथ्या से रामलला का कनेक्शन


अयुथ्या 9वीं सदी के दौरान खमेर साम्राज्य था. इस पर हिंदू धर्म का खास प्रभाव था. उस दौरान वहां के राजा जयवर्मन थे...जयवर्मन के समय ही अयुथ्या को थाईलैंड की प्राचीन राजधानी बनाया गया और पूरे साम्राज्य में कई हिंदू मंदिर बनाए गए. भगवान राम को यहां के लोग अपना आदर्श मानते थे. इस शहर में बहुत से लोग भगवान राम की आज भी पूजा करते हैं और पूजा के दौरान रामायण का पाठ करते हैं. यहां के राजशाही परिवार की कुछ रीतियां तो हिंदू धर्म की कई परंपराओं से मिलती जुलती हैं.


प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयुथ्या से भी मिट्टी आई


रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अयुथ्या से भी मिट्टी भेजी गई थी. मीडिया से बात करते हुए खुद राम जन्मभूमि ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय बोल चुके हैं कि अयुथ्या और कुछ नहीं बल्कि थाईलैंड की अयोध्या है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी लोग इस शहर को विदेश की अयोध्या कह रहे हैं.


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