सीबीआई ने दिल्ली में हाल ही में बच्चा तस्कर गिरोह का भांडाफोड़ किया है. जिसमें पता चला है कि आईवीएफ सेंटर्स बच्चा तस्करी मेें अहम भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में अब सीबीआई की नजर आईवीएफ सेंटर्स पर है. केंद्रीय जांच ब्यूरो  दिल्ली में बाल तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के संबंध में कुछ अस्पतालों के अलावा कुछ आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) क्लीनिकों की भूमिका की भी जांच कर रही है. 


आईवीएफ सेंटर्स से कैसे हो रही तस्करी?
एजेंसी की जांच से खुलासा हुआ है कि गिरोह सरोगेट मांओं से बच्चे खरीद रहा था. अब तक कम से कम दस तस्करी किए गए शिशुओं के रिकॉर्ड प्राप्त किए गए हैं. ये भी बताया जा रहा है कि गैंग के लोग गरीब माता-पिता के साथ ही सरोगेट मां से बच्चों को दो से तीन लाख रुपये में खरीद लेते थे. जिसके बाद इन बच्चों को 4 से 6 लाख रुपए में बेच दिया जाता था.


बाल तस्करी के मामलों में किस कानून के तहत होती है सजा?
भारत में बाल तस्करी बहुत ही आम बात हो गई है. इस मामलों में सामाजिक और आर्थिक कारण ही मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. जिनमें पैसों के लिए यौन शोषण, मजदूरी कराने के लिए शोषण और अंगों की तस्करी के लिए तस्करी की जाती है. बता दें कि भारत में अनुच्छेद 23 के तहत मानव या व्यक्तियों के अवैध व्यापार पर प्रतिबंध है. ऐसे में यदि अनुच्छेद 23 के तहत यदि कोई व्यक्ति या गैंग बाल तस्करी का दोषी पाया जाता है तो उस व्यक्ति या गैंग को कम से कम 7 साल की सजा होती है. जो 10 तक तक बढ़ाई जा सकती है. वहींं अदालत ऐसे आरोपियोंं पर उचित जुर्माना भी लगाती है.


पुलिस कर रही तलाश 
फिलहाल सीबीआई सभी आईवीएफ सेंटर्स की तलाश कर रही है. जिससे बाल तस्करी में शामिल सभी आरोपियों को ढूंढ कर निकाला जा सके. साथ ही पुलिस की तलाश अस्पतालों में भी जारी है.


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