आपने रूस की स्पाई व्हेल के बारे में तो सुना ही होगा, जो इन दिनों नॉर्वे के तट पर घूम रही है. समय बदलने के साथ जासूसी के तरीकों में भी बदलाव आया है. आजकल जीव जंतुओं का इस्तेमाल भी जासूसी के लिए होने लगा है. इसके लिए बाकायदा इन जीवों को ट्रेनिंग दी जाती है. आइए आज हम आपको व्हेल के अलावा उन जीवों और पक्षियों के बारे में बताते हैं. जिनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया है.
कबूतर
जासूसी के लिए इस्तेमाल होने वाले जीव-जंतुओं में सबसे पहला नाम कबूतर का आता है. ये एकमात्र पक्षी है, जो हर हाल में अपने मालिक के पास लौटता है. कबूतर की रेसिंग होमर प्रजाति बहुत तेज उड़ती है. जासूसी के लिए कबूतरों के पैरों पर कैमरा फिट किया जाने लगा है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने लगभग 2.5 लाख कबूतरों को अपने काम.के लिए नौकरी पर रखा था.
बिल्ली
बिल्लियों को जासूस बनाने वाले ऑपरेशन को 'ऑपरेशन एकॉस्टिक किटी' नाम दिया गया था. इसमें बिल्ली को बीच से काटकर उसके भीतर बैटरी डालकर चलने-फिरने लायक बना दिया जाता था. देखने वाले को लगता था कि असल बिल्ली ही है, लेकिन वो होती जासूस थी. स्मिथसोनियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग 5 साल लगे थे और 1960 के दौर में इसपर करीब 20 मिलियन डॉलर का खर्च आया था.
अंडरवॉटर स्पाईंग
आजकल अंडरवॉटर स्पाईंग भी होने लगी है. जोकि थोड़ी एडवांस चीज है. इसमें जासूसी के लिए पानी में रहने वाले जीवों को ट्रेंड किया जाता है. 1960 के दौरान सोवियत संघ ने सबसे पहले डॉल्फिन पर यह एक्सपेरिमेंट किया.
व्हेल है जासूस
आजकल इस काम के लिए व्हेल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. साल 2019 में एक बेलुगा व्हेल नॉर्वे के समुद्र तट के आसपास देखी गई. जिसपर एक पट्टा बंधा हुआ था, उसमें कैमरा और अन्य डिवाइस लगे थे.
मकड़ियां और कीड़े करेंगे जासूसी!
वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हुए हैं कि जीव-जंतुओं की डेड बॉडी जासूसी के काम आ सकते हैं. इसके लिए भविष्य में कीड़ों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. टैक्सीडर्मी नामक प्रक्रिया में मुर्दा मकड़ियों को स्टफ करके उन्हें अपने मुताबिक चलाया-फिराया जा सकेगा.