रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है. इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई अपने अपनी बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हर साल आखिर क्यों रक्षाबंधन के भद्रा का जिक्र होता है. आज हम आपको बताएँगे कि आखिर भद्रा क्या होता है.
रक्षाबंधन
हर साल की तरह इस साल भी रक्षाबंधन त्योहार को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों पर है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाने वाला है. इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहने वाला है. भद्रा काल के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर भद्रा काल को अशुभ क्यों माना जाता है और हर साल रक्षाबंधन पर भद्रा काल क्यों रहता है. आज हम आपको बताएंगे कि भद्रा काल क्या होता है.
भगवान सूर्य की पुत्री हैं भद्रा
भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने भाई शनि देव की तरह ही सख्त हैं. इनके कठोर स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें समय की गणना के एक महत्वपूर्ण अंग विष्टि करण में स्थान दिया. इस काल को भद्राकाल माना जाता है और इसमें पूजा आदि करने की मनाही होती है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं. इस कारण भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बांधी थी, जिसके बाद उसका वध हो गया था.
राखी पर क्यों है भद्राकाल
बता दें कि भद्रा का संयोग कुछ खास तिथियों पर ही बनता है. जैसे-चतुर्थी, अष्टमी, एकादशी और पूर्णिमा। रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, ऐसे में रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल भी होता है. पूर्णिमा के दिन भद्रा पृथ्वी पर रहती है, इसलिए इस दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए. वहीं रक्षाबंधन पर भद्रा प्रारंभ होने का समय सुबह 5.53 बजे से है, इसके बाद दोपहर 1.32 बजे तक रहेगी. यह भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी. हिंदू धर्म में रक्षाबंधन पर राखी बांधने से पहले भद्रा काल का विचार जरूर किया जाता है. इसके बाद ही राखी बांधा जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार बनाने से पहले आपको भी मुहूर्त देख लेना चाहिए, जिससे सही मुहूर्त पर ही बहन भाई को राखी बांधे.
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