भारत में भूतिया गांवों की कहानियां अक्सर रहस्यमय और दिलचस्प होती हैं. ये गांव न केवल लोक कथाओं और परंपराओं से जुड़े होते हैं, बल्कि अक्सर इनमें अजीबोगरीब घटनाएं भी होती हैं, जो उन्हें खौफनाक बना देती हैं. भारत के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे गांव मौजूद हैं जहां रात के समय बाहर निकलना एक साहसिक काम से कम नहीं होता है. यहां हम कुछ प्रमुख भूतिया गांवों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनकी वजह से लोग रात में बाहर निकलने से भी डरते हैं. चलिए जानते हैं भारत के भूतिया गांव के बारे में इस गांव के देखने भारत के साथ दुनियाभर के पर्यटक इस गांव को देखने आते हैं.


भूतिया जगह, कैलाश पर्वत 


कैलाश पर्वत, जो तिब्बत की पवित्र भूमि पर स्थित है, एक अनोखा और रहस्यमय स्थल है. इसे हिंदू, बौद्ध, जैन, और बोन धर्मों द्वारा अत्यधिक श्रद्धा और सम्मान के साथ देखा जाता है. कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) है और यह तिब्बत के पश्चिमी भाग में स्थित है. इस पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती इस पर्वत पर निवास करते हैं.


इसके बारे में कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं. माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर एक स्थान है जिसे सबसे भूतिया माना जाता है. नॉर्थ पोल से 6666 किलोमीटर और साउथ पोल से करीब 13 हजार किलोमीटर से अधिक दूरी पर एक जगह है. जिसे सबसे भूतिया जगह माना जाता है. कैलाश पर्वत पर जाने वाले लोग के अनुसार वहां पर नाखून और बाल भी तेजी से बढ़ते हैं, साथ में वहां जाने पर उम्र भी तेजी से बढ़ती है.


राक्षस झील 
भगवान भोले का निवास स्थान कहे जाने वाले कैलाश पर्वत के करीब दो झील हैं. पहली- कैलाश मानसरोवर और दूसरी- राक्षस झील या राक्षस ताल (Rakshastal). पुराणों और तमाम ग्रंथों में मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा के मन से उत्पन्न बताया जाता है, तो दूसरी तरफ राक्षस झील उतनी ही रहस्यमय है. जैसा कि आप नाम से पता चलता है, राक्षस ताल का शाब्दिक अर्थ है “राक्षसों की झील” या ” शैतान की झील “. यह झील तिब्बत के उच्च पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है और धार्मिक मान्यताओं और भूतिया कहानियों के कारण विशेष महत्व रखती है. राक्षसताल की झील की गहराई और अद्वितीयता इसे एक विशेष धार्मिक और रहस्यमय स्थल बनाती है. राक्षस ताल एक अर्धचंद्राकार खारे पानी की झील है. अर्धचंद्राकार आकार अंधेरे का प्रतीक होता है. रिपोर्ट के अनुसार यह वही स्थान है, जहां लंका के राजा रावण ने भगवान शिव की तपस्या की और उनकी पूजा आराधना की थी. इस जगह को  भूतिया जगह माना जाता है.


रुपकुंड, उत्तराखंड  
रूपकुंड, जिसे “कंकाल झील” के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह झील समुद्र तल से लगभग 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अपने रहस्यमयी कंकालों के लिए प्रसिद्ध है. इस झील की खोज 1942 में एक ब्रिटिश वन अधिकारी ने की थी. जब उन्होंने इस झील को देखा, तो उन्हें इसके किनारे और पानी में सैकड़ों मानव कंकाल मिले. यह दृश्य बहुत ही रहस्यमयी और डरावना था. जब इस झील का पानी सूखता है तो यहां सैकड़ों हड्डियां मिलती है, जिसका प्रमाण आज तक नहीं मिला कि ऐसा क्यों है. एक समय था लोग यहां पूजा करने जाते थे.


 कुलधरा गांव, राजस्थान 
राजस्थान का कुलधरा गांव एक प्रसिद्ध और रहस्यमय स्थल है, जो अपनी भूतिया कहानियों और ऐतिहासिक महत्व के कारण जाना जाता है. यह गांव जैसलमेर के पास स्थित है और इसकी भूतिया और ऐतिहासिक मान्यता इसे एक विशेष स्थान बनाती है. यह गांव लगभग 300 साल पहले पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था, लेकिन आज यह पूरी तरह से वीरान है. इस गांव का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इसे एक ही रात में अचानक छोड़ दिया गया था. 19वीं सदी में, गांव के सभी निवासी एक ही रात में गांव छोड़कर चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए. आज के समय में यह गांव एक खंडहर में बदल चुका है. यहां के मकान और गलियां वीरान और सुनसान हैं. गांव के खंडहरों में घूमते समय ऐसा लगता है जैसे समय ठहर गया हो. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस गांव को संरक्षित किया है और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है. 


सबमर्ज द्वार, गुजरात
गुजरात का सबमर्ज द्वार (Submerge Dwar) एक ऐतिहासिक और रहस्यमय स्थल है जो अपनी भौगोलिक विशेषताओं और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. यह स्थल समुद्र के करीब है और यहाँ की सतह पर अलग-अलग प्रकार की भूगर्भीय संरचना और प्राचीन अवशेष देखे गए हैं. सबमर्ज द्वार का ऐतिहासिक महत्व उसके प्राचीन अवशेषों और संरचनाओं से जुड़ा हुआ है. इसे प्राचीन समय में एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता था, जो धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र कहा जाता है. यहां माना जाता है कि यहां का पूरा जगह पानी में डूब गया था. 


अमरकंटक, मध्य प्रदेश 
अमरकंटक, मध्य प्रदेश में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यह स्थान नर्मदा, सोन और जोहिला नदियों का उद्गम स्थल है और यहां कई प्राचीन मंदिर और आश्रम हैं. नर्मदा नदी को लेकर कई सवाल है क्योंकि देश में ज्यादातर नदियां ऊपर से शुरू होती है और नीचे बहती है पर नर्मदा नहीं एक ऐसी नदी है जो नीचे से शुरू होकर ऊपर के ओर बहती है. इस नदी को पिचास नदी भी कहा जाता है. ये नदी नॉर्थ से साउथ की ओर बहती है.


एलोरा मंदिर, महाराष्ट्र
इसके बाद आते हैं. महाराष्ट्र का एक जिला है औरंगाबाद जिसे अब शम्भाजी के नाम से जाना जाता है वहां एक मंदिर है जिसका नाम एलोरा मंदिर हैं, ये खुदाई की गई थी. यानी इन्हें चट्टानों को काटकर और खोदकर बनाया गया था. इसके बाद वर्टिकल कटिंग तकनीक के साथ बनाई गई थीं, जिसमें चट्टान को ऊपर से नीचे की ओर काटा जाता था.पहले गुफा का मूल ढांचा तैयार किया गया, और फिर उसे सजाया गया. यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है.


ये भी पढ़ें :रूस में प्रजनन दर बढ़ाने के लिए पुतिन ने दी गजब सलाह, सोशल मीडिया पर हर कोई कर रहा चर्चा