एनकाउंटर के दौरान क्या-क्या नहीं कर सकते पुलिसकर्मी? खुद जान लें हर एक नियम
Encounter Rules: पुलिस का बदमाशों के साथ जब भी एनकाउंटर होता है तो इसे लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. पुलिस एनकाउंटर में ज्यादातर बदमाश मारे जाते हैं.

Encounter Rules: भारत में करोड़ों लोग रहते हैं, ऐसे में आपराधिक मानसिकता वाले लोगों की भी कोई कमी नहीं है. ऐसे लोगों के लिए पुलिस और बाकी सुरक्षाबल बनाए गए हैं. पुलिस बदमाशों को पकड़ने के लिए कई बार स्पेशल ऑपरेशन चलाती है, जिनमें पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ होती है. ऐसा ही एक ऑपरेशन बिहार के कंकड़बाग में भी चलाया जा रहा है, जिसमें कुछ अपराधी पुलिस पर फायरिंग कर एक घर में घुस गए हैं. जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है. इसी बीच आइए हम आपको बताते हैं कि एनकाउंटर के दौरान पुलिस क्या-क्या नहीं कर सकती है.
पुलिस एनकाउंटर को लेकर गाइडलाइन
पुलिस का बदमाशों के साथ जब भी एनकाउंटर होता है तो इसे लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. पुलिस एनकाउंटर में ज्यादातर बदमाश मारे जाते हैं. जिसमें पुलिस का कहना होता है कि उन पर फायरिंग हुई और जवाबी कार्रवाई में उन्होंने बदमाशों को गोली मारी. हालांकि इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गाइडलाइन बनाई गई है.
क्या नहीं कर सकते हैं पुलिस वाले?
एनकाउंटर के दौरान पुलिसकर्मी बिना चेतावनी से गोली नहीं चला सकते हैं. यानी सबसे पहले अपराधी या आरोपी को सरेंडर करने के लिए कहा जाता है. इसके बाद उसे चेतावनी दी जाती है कि अगर वो हमला जारी रखेगा या फिर खुद को सरेंडर नहीं करेगा तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. इसके बावजूद भी अगर अपराधी पुलिस पर फायरिंग करते हैं या भागते हैं तो पुलिस शरीर के निचले हिस्से पर फायर कर सकती है. आमतौर पर ऐसे में पहले पैर पर गोली मारी जाती है.
इसके अलावा पुलिस को एनकाउंटर के दौरान सिविलियंस का भी ध्यान रखना होता है. यानी अगर खूंखार अपराधी किसी घर में घुसे हैं तो पहले उस घर में मौजूद लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
अब अगर सुप्रीम कोर्ट और NHRC की तरफ से जारी गाइडलाइन की बात करें तो पुलिस एनकाउंटर को लेकर काफी सख्त नियम बनाए गए हैं, जिनमें हर एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच और एफआईआर की बात कही गई है. तीन महीने के अंदर पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. थाना प्रभारी को एनकाउंटर की सूचना मिलते ही उसे रजिस्टर में दर्ज करना होगा. जब भी पुलिस को ऐसी कोई गुप्त जानकारी या फिर बड़े अपराधी की जानकारी मिलती है तो उसे पहले एक केस डायरी में इसे लिखना होगा. अगर जांच के बाद पुलिस अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो मृतक के परिवार को मुआवजा देने का भी नियम है.
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