Biparjoy Cyclone: बिपरजॉय तूफान आने के बाद देश के कई हिस्सों में बारिश हो रही है, ऐसे में जब लोग बारिश की बूंदों को देखते हैं तो सोचते हैं कि आखिर ये गोल ही क्यों गिरती हैं. क्या ये चौकोर और सपाट नहीं हो सकतीं. आपको बता दें इसके पीछे पूरी तरह से साइंस काम करती है. आपने इसके बारे में स्कूल में भी पढ़ा होगा. खासतौर से अगर आपने पृष्ठ तनाव का चैप्टर पढ़ा होगा तो इसके बारे में आपको बहुत कुछ पता होगा. आपको इस आर्टिकल में इसी के बारे में बताएंगे.


क्यों बनती है पानी की बूंद गोल?


जैसा की ऊपर हमने बताया कि अगर आपने पृष्ठ तनाव का चैप्टर पढ़ा होगा तो आपको इसके बारे में बहुत कुछ पता होगा. चलिए जिन्हें नहीं पता उनको बताते हैं. दरअसल, पानी की बूंदें गुरुत्वाकर्षण की वजह से गोल होती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की वजह से सबसे न्यूनतम आकार गोलाकार ही बनता है. इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब कोई चीज गोलाकार होती है तो उसका क्षेत्रफल कम होता है, इसकी वजह से बारिश की बूंदें गोल होती हैं. ये बात सिर्फ बारिश की बूंदों के साथ ही लागू नहीं होती है, बल्कि ऊंचाई से गिरने वाला कोई भी द्रव जैसे-जैसे पृथ्वी के नजदीक आता है, बूंदों में बदल जाता है और बूंदों का आकार पृष्ठ तनाव के कारण हमेशा गोल हो जाता है. 


विज्ञान की भाषा में समझिए


अगर आप अब भी इसे नहीं समझ पाए हैं और विज्ञान की भाषा में इसे समझना चाहते हैं तो आपको हम विज्ञान की भाषा में समझाते हैं. दरअसल, पृष्ठ तनाव किसी द्रव की सतह का वो गुण है जिसके कारण ये इलास्टिसिटी की तरह फ़ैल जाती है या सिकुड़ जाती है. द्रव के इस गुण को किसी द्रव की गोलाकार बूंदों के पास और साबुन के बुलबुलों के पास भली भांति देखा जा सकता है. इसी क्रिया की वजह से बारिश की बूंदें गोल बनती हैं.


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