Birds: आप में से बहुत कम लोग शायद यह जानते होंगे कि कि पक्षी, डायनासोर (Dinosaurs) के वंशज हैं. लेकिन इससे भी कम लोग यह बात जानते हैं ये डायनासोर के युग में ही आज से करीब 16 करोड़ साल पहले विकसित होने लगे थे. तब 6.6 करोड़ साल पहले एक महाविनाश हुआ, जिसके कारण आए जलवायु परिवर्तन में जहां डायनासोर खुद को जिंदा नहीं रख पाए, वहीं पक्षी (Birds) ना केवल जिंदा रहे बल्कि समय के साथ विकसित भी हुए. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि पक्षी बचने में सफल रहे, लेकिन डायनासोर नहीं बच सके? आइए जानते हैं इस बारे में विज्ञान क्या कहता है...


डायनासोर विलुप्त हो गए पर बच गए पक्षी


पक्षी और डायनासोर लगभग 10 करोड़ साल तक एक साथ रहे, लेकिन ये डायनासोर से ड्रोमियोसोर नाम के समूह से अलग होना शुरू हुए. ड्रोमियोसोर पंखों वाले थेरोपॉड के परिवार से थे, जिनमें वेलोसिरैप्टर शामिल थे. लेकिन 6.6 करोड़ साल पहले मैक्सिको के ऊपर एक विशाल क्षुद्रग्रह का पिंड पृथ्वी से टकराया, जिससे पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के कारण महाविनाश की प्रक्रिया शुरू हो गई. जिसमें डायनासोर तो पूरी तरह से विलुप्त हो गए लेकिन कुछ पक्षी जिंदा रह गए. वैज्ञानिकों ने जीवाश्मों के लंबे अध्ययनों से जमा किए प्रमाणों के आधार पर इस सवाल का जवाब तलाशा है.


बिना दांतों के पक्षी


यह तो सभी जानते हैं कि आज के पक्षियों के दांत नहीं होते, बल्कि चोंच होती है. ये अपनी अलग-अलग आकार और आकृति की चोंच का उपयोग खाने और पानी पीने के लिए करते हैं. लेकिन डायनासोर के दौर में कुछ पक्षियों के दांत भी हुआ करते थे, जबकि कुछ पक्षियों के दांत नहीं होते थे. महाविनाश से दांतों वाले सभी पक्षी विलुप्त हो गए. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि दांत न होने से ही पक्षियों को बचने में मदद मिल सकी थी.


खुराक में अंतर रहा होगा फायदेमंद


हर बिना दांत के पक्षी के जीवाश्म से पता चलता है कि वे पौधों पर आधारित भोजन जैसे फल और बीज आदि ज्यादा खा सके थे. यानी वे दूसरे जानवरों की खाने पर ज्यादा निर्भर नहीं थे, वहीं दांत वाले पक्षियों के साथ ऐसा कि वो अपने भोजन के लिए दूसरे जानवरों पर निर्भर था. वैज्ञानिकों का मानना है कि खुराक का यह अंतर ही महाविनाश के समय फायदेमंद साबित हुआ.


कैसे हुआ महाविनाश?


क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने पर तुरंत ही सुनामी और भूकंप आने लगे. पूरे वातावरण में धूल हो गई, जिससे सूरज की रोशनी नहीं आ सकी और पौधे खाने वाले जानवरों के लिए भोजन कम हो गया. ऐसे में उनमें से बहुत से विलुप्त होने लगे, जिससे उन्हें खाने वाले जानवरों को भोजन नहीं मिल सका. इसका नतीजा यह हुआ कि जानवरों की बहुत सी प्रजातियां मर गईं. ऐसे में बिना दांतों के पक्षी जमीन खोद कर उसमें दबे दाने या बीज खा सकते थे और इस वजह से वे बचे रहने में कामयाब रहे होंगे. इसके अलावा भी कई और वजहों से बिना दांतों के पक्षी खुद को जिंदा रख पाए. फिलहाल तो यह एक रहस्य ही है जिसका कोई सटीक उत्तर नहीं है. 


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