1 नहीं, 2 नहीं, सैकड़ों मामले... आखिर मरने के बाद अचानक कैसे जिंदा हो जाते हैं लोग, ताजा किस्सा भी पढ़ें
Body After Death: कई बार सुनने में आता है कि मरने के कुछ देर बाद ही इंसान की बॉडी रिएक्ट करने लगती है. तो क्या आप जानते हैं आखिर ऐसा किस वजह से होता है.
आपने कुछ किस्से ऐसे सुने होंगे, जिनमें कहा जाता है कि किसी शख्स की मौत हो गई और जब उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया तो पता चला कि वो जिंदा है. ऐसे में कहा जाता है कि जिसने शख्स को मरा हुआ घोषित किया, उसने अच्छे से देखा नहीं. इसके अलावा इस तरह के मामलों को धार्मिक मान्यताओं से भी जोड़कर देखा जाता है. हाल ही में न्यूयॉर्क में एक महिला को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन बाद में पता चला कि वो महिला जिंदा थीं. इसके अलावा आयोवा में भी इसी तरह की एक घटना में 66 बरस की डिमेंशिया से पीड़ित एक महिला को एक नर्स ने मृत घोषित कर दिया, लेकिन अंतिम संस्कार के वक्त महिला को सांस लेने के लिए हांफते हुए पाया गया.
ऐसे में सवाल है कि आखिर ऐसा किस वजह से होता है, क्या मरने के बाद लोग फिर से जिंदा हो जाते हैं या फिर इसके पीछे कोई और कारण होता है? तो जानते हैं एक बार मृत घोषित किए जाने के बाद फिर से जिंदा होने की क्या कहानी है...
पहले कैसे करते थे पता?
पहले तो आपको बता दें कि इस तरह की घटनाएं काफी आम नहीं है, इस तरह के बहुत कम केस ही देखने को मिलते हैं. पहले कुछ देशों में यह रिवाज हुआ करता था कि किसी मरे हुए नाविक के लिए कफन की सिलाई करते समय उसके कफन का आखरी टांका लगाते समय सुई को शव की नाक में घुसाया जाता था. नाक में सुई घुसाने का कारण यही होता था कि अगर नाविक में प्राण बाकी होंगे तो वह सुई चुभने पर प्रतिक्रिया करेगा. अब तो किसी की मौत की पुष्टि करने के लिए कई तरीके हैं. हालांकि, फिर भी कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति फिर से जिंदा हो जाता है और ऐसे कई किस्से हैं.
आखिर ये क्यों होता है?
एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता (मेडिसिन) स्टीफन ह्यूजेस के अनुसार, मौत की पुष्टि की प्रोसेस का ठीक से पालन नहीं करने की वजह से किसी जीवित व्यक्ति को मृत घोषित किए जाने के कुछ उदाहरण सामने आए हैं. कई बार अच्छे से शरीर को चेक नहीं किया जाता है और दिल की धड़कन, रुक-रुक कर चलने वाली सांसें की ठीक से जांच ना होने की वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं.
कई दवाएं भी बनती हैं कारण
दरअसल, दिमाग को नुकसान से बचाने के लिए कई बार रोगी को बेहोश करने वाली दवाएं दी जाती हैं और सर्जरी आदि के लिए एनेस्थीसिया इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन, बेहोश करने वाली यह दवाएं अगर अधिक मात्रा में दी जाएं तो रोगी की प्रतिक्रिया देने की क्षमता समाप्त हो जाती है और उसकी सांस धीमी होने के साथ ही ब्लड प्रेशर काफी कम हो जाता है, जिससे लगता है कि रोगी की मौत हो गई है, लेकिन जैसे ही दवा का असर कम होता है तो शख्स जाग सकता है.
डूबने से हुई मौत में रहती है संभावना
जब किसी शख्स की पानी में डूबने से मौत होती है तो उस स्थिति में ऐसे केस होने की ज्यादा संभावना रहती है. बता दें कि पानी में काफी समय तक रहने के बाद जीवित रहना कई बार साबित हुआ है. मेडिकल साइंस की पढ़ाई में यह हमेशा सिखाया जाता है कि एक डूबे हुए रोगी को तब तक मृत नहीं माना जाता, जब तक उसका शरीर गर्म नहीं हो जाता. 70 मिनट तक ठंडे पानी में डूबे रहने के बाद भी व्यक्ति के जीवित रहने की घटनाएं हुई हैं. व्यक्ति के बेहोशी की हालत में होने पर भी मृत्यु प्रमाणित करने वाले डॉक्टर धोखा खा सकते हैं.
कैसे कैसे केस आए हैं सामने?
- एक महिला को न्यूयॉर्क के एक नर्सिंग होम में मृत घोषित कर दिया गया, लेकिन बाद में अंतिम संस्कार गृह के कर्मचारियों ने उसे जीवित पाया.
- आयोवा में 66 साल की डिमेंशिया से पीड़ित एक महिला को एक नर्स ने मृत घोषित कर दिया, लेकिन जब अंतिम संस्कार के लिए महिला की बॉडी वाले थैले को खोला तो उसे जीवित और सांस लेने के लिए हांफते हुए पाया.
- रिपोर्ट के अनुसार, एक दिन एक अस्पताल में एक सहकर्मी ने एक बुजुर्ग महिला को मृत घोषित कर दिया, लेकिन थोड़ी देर बाद वह फिर से सांस लेने लगी और उसकी नाड़ी थोड़ी देर के लिए ठीक हो गई.
- एक बार मेडिकल इमरजेंसी टीम को एक महिला की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत के बाद तत्काल मुर्दाघर में बुलाया गया. दरअसल महिला ने अपनी मिर्गी की बीमारी के लिए दी जाने वाली दवा निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में ले ली थी. उस वक्त उसका पैर हिल रहा था और बाद में वो ठीक भी हो गई.
- एक बार एक प्रेग्नेंट महिला की गोलियां चलने की आवाज सुनकर सदमे से मौत हो गई. उसके अंतिम संस्कार के एक दिन बाद उसकी कब्र के भीतर से उसके चीखने की आवाजें सुनी गईं. बहुत मुमकिन है कि वह काफी देर तक बेहोश रहने के बाद जाग गई हो.
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