उत्तर भारत इन दिनों सूरज से निकल रही आग की चपेट में है. गर्मी से कई लोगों का बुरा हाल है तो कई लोग हिट स्ट्रोक की चपेट में भी आ रहे हैं. गर्मी के चलते कुछ जगहों से मौत की खबरें भी सुनने को मिल रही हैं. सामान्य स्थिति में मनुष्य 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आसानी से रह सकता है. हालांकि इससे ज्यादा तापमान असहनशील और 50 डिग्री तक तापमान इंसान के शरीर के लिए बेहद घातक साबित होता है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इस तापमान का आपके दिमाग पर भी खासा बुरा असर पड़ता है.


50 डिग्री तापमान इंसान के दिमाग को कैसे पहुंचाता है नुकसान?


50 डिग्री या इससे ज्यादा तापमान झेलने पर इंसान के शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है. वहीं 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के संपर्क में लंबे समय तक रहने से किसी भी व्यक्ति के दिमाग को जबरदस्त नुकसान पहुंच सकता है, जिससे भ्रम, दौरे और चेतना खत्म हो जाना जैसी स्थिति जन्म लेती है. वहीं 46-60 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान पर दिमाग में मौजूद कोशिकाएं तक मरने लगती हैं.


दरअसल इस तापमान में मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन जमना शुरू हो जाता है. इस स्थिति में दिमाग को जो नुकसान पहुंचता है उसकी भरपाई करना मुश्किल हो जाता है. नाटकीय रूप से इससे मस्तिष्क का संतुलन और दिमाग की खपत खासी कम हो जाती है. वहीं यदि तापमान 40 डिग्री है तो दिमाग की कुछ कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचता है.


ये भी होता है नुकसान


ये तापमान उन लोगों के लिए खासा खतरनाक साबित हो सकता है जिन्हें पहले से दिल की बीमारी होती है. दरअसल इस दौरान रक्त प्रवाह को बनाए रखने और शरीर को ठंडा रखने के लिए हृदय गति तेजी से बढ़ जाती हैइसके अलावा ये तापमान शरीर की त्वचा को भी खासा नुकसान पहुंचाता है. जिसके चलते अंदर का खून बाहर आना, चकत्ते होना और रक्त कोशिकाएं फटने जैसी चीजें भी हो सकती हैं. वहीं इस तापमान में सांस लेने में दिक्कत भी आने लगती है, जिससे तेज-तेज और उथली सांस लेने की समस्या हो सकती है. साथ ही गर्मी के चलते मथली, उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. इस तापमान में हिटस्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है, यदि इसका इलाज तुरंत नहीं किया जाता तो इंसान की मौत भी हो सकती है.


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