Britain Will Introduce New Law: ब्रिटेन में मुस्लिमों को कम सजा वाला कानून! जानें धर्म और रंग के आधार पर कहां होते हैं फैसले
Britain Will Introduce New Law: ब्रिटेन में एक नया कानून पारित होने जा रहा है. जिसके तहत मुस्लिमों को कम सजा मिलेगी. लेकिन ब्रिटेन के अलावा दुनिया में पहले भी धर्म और रंग के आधार पर फैसले हो चुके हैं.

Britain Will Introduce New Law: दुनिया में रंगभेद और धर्म के आधार पर फैसले होने कम हो चुके हैं, क्योंकि ये लोगों के हित में नहीं होते थे. लेकिन अब खबर है कि ब्रिटेन एक नया कानून लागू करने जा रहा है. इस कानून के तहत मुस्लिम और अलपसंख्यकों को व्हाइट ब्रिटिश लोगों की तुलना में सजा कम दी जाएगी. वहां इसे समानता का कदम कहा जा रहा है, लेकिन समानता के नाम पर ये भेदभाव साफ नजर आ रहा है. इसका मतलब साफ है कि कुछ ग्रुप को हल्की सजा और कुछ ग्रुप को कड़ी सजा मिलेगी. सजा देते वक्त धर्म, जाति और संस्कृति हर चीज का ध्यान रखा जाएगा. हालांकि ब्रिटेन में धर्म के नाम पर ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, इसके पहले भी दुनिया में धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव होते रहे हैं.
रंग के आधार पर भेदभाव
रंग के आधार पर फैसले लिए जाने की बात करें तो जब ब्रिटिश भारत आए थे तो वो यहां के लोगों को काले बताते थे और उनको बहुत कड़ी सजा देते थे. कोड़े से मारते थे, पैरों तले रौंदते थे. खैर उनके जाने के बाद से तो भारत मं रंगभेद खत्म हो गया, लेकिन साउथ अफ्रीका में ये रंगभेद कई साल तक चला. यहां 1949 में नेशनल पार्टी की सरकार द्वारा नियम बनाकर काले और गोरे लोगों के घर अलग करने की प्रणाली लागू की गई थी. अफ्रीका की भाषा में इसे अपार्थीड यानि अलगाव कहा जाता था. लेकिन बाद में 1994 में इसे खत्म कर दिया गया था. इसके खिलाफ नेल्सन मंडेला ने बहुत संघर्ष किया था.
धर्म के आधार पर कहां हुए फैसले
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम तो भारत का आता है. आजादी के बाद यहां देश को दो हिस्सों में बांटा गया था. जिससे दो देश बने हिन्दू बाहुल्य भारत और मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान. यही वजह थी वि बंटवारे के चलते बंगाल, दिल्ली, पंजाब और भारत के दूसरे हिस्सों में हिन्दू, मुस्लिम और सिखों के बीच भयानक दंगे हुए. इस दंगे में लाखों लोगों की जान चली गई. इतना ही नहीं विभाजन के बाद करोड़ों शरणार्थी भारत और पाकिस्तान में रहने लगे थे.
इसके अलावा धर्म और जाति की पहचान के आधार पर यूगोस्लाविया के छह स्वतंत्र देश बन गए. 20वीं शताब्दी के ज्यादातर समय तक यूगोस्लाविया दक्षिण-पूर्व यूरोप और मध्य यूरोप में एक देश था.
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