पूरे देश में इस समय पेपर लीक की चर्चा है. युवाओं में रोश है कि वह इतनी मेहनत से तैयारी करते हैं, लेकिन पेपर लीक कराने वाले गिरोह उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं. खैर, आज हम मौजूदा पेपर लीक के मामलों पर चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि आपको बताएंगे कि कैसे एक बार देश का बजट ही लीक हो गया था.


कब हुआ था बजट लीक


बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1950 में संसद में पेश होने से पहले ही देश का बजट लीक हो गया. इस मामले की वजह से पूरे देश में हंगामा हो गया. इसकी वजह से उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई को हटा दिया गया था. इसी घटना के बाद से बजट के छपने की जगह भी बदल दी गई थी.


दरअसल, 1950 तक बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन जब बजट लीक हुआ तो फैसला किया गया कि अब बजट नई दिल्ली के मिंटो रोड पर स्थित प्रेस में होगी. ये छपाई 1979 तक हुई. इसके बाद साल 1980 से बजट की छपाई नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी प्रिटिंग प्रेस में होने लगी. आज भी बजट यहीं छपता है.


तहखाने में कैद हो जाते हैं कर्मचारी


बजट पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी होती है. इस सेरेमनी के बाद नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में यानी जहां प्रिंटिंग प्रेस लगी है, वहां वित्त मंत्रालय और बजट से जुड़े करीब 100 कर्मचारी कैद हो जाते हैं. ये कर्मचारी कुछ दिनों के लिए कड़ी सुरक्षा में यहीं रहते हैं. जब वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश हो जाता है, तब इन कर्मचारियों को अनुमति मिलती है कि वह अपने परिवार वालों से संपर्क कर सकते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बजट पहले की तरह फिर से लीक ना हो जाए. हालांकि, चीजें अब आधुनिक हो रही हैं. बजट के ब्रीफकेस को लाल बस्ते में बदल दिया गया है और बजट भी अब कागज से पढ़ने की बजाय मेड इन इंडिया टैबलेट से पढ़ा जाता है. 


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