(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सब्जी मंडी की तरह लगता है 16 साल की लड़कियों का बाजार, मां-बाप खुद लगवाते हैं बोली
इस बाजार में लड़की की सुंदरता और उसकी उम्र के हिसाब से बोली लगती है. अगर कोई लड़की बहुत खूबसूरत है और उसकी उम्र 16 से 20 साल के करीब है तो उसके लिए बोली 10 लाख से ऊपर की लग सकती है.
आपने अपनी जिंदगी में सब्जी मंडी, जानवरों की मंडी और शायद फूलों की मंडी देखी हो. लेकिन क्या कभी आपने लड़कियों की मंडी देखी है. खासतौर से आज के समय में जब समाज में इस तरह की चीजें ना सिर्फ अपराध मानी जाती हैं, बल्कि ये मानवता के भी खिलाफ हैं. चलिए जानते हैं क्या है इस मंडी की पूरी कहानी.
कहां है ये बाजार
लड़कियों की ये मंडी बुल्गारिया के स्तारा जागोर में लगती है. एनडी टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, ये बाजार साल में चार बार लगता है. यहां मां-बाप अपनी 16 से 25 साल तक की बेटियों के साथ आते हैं, जो दुल्हन की तरह सजी होती हैं. सुबह से लगने वाला ये बाजार पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है.
क्या सच में खरीदी जाती हैं लड़कियां
दरअसल, इस बाजार में अपने मां-बाप के साथ जो लड़किया दुल्हन बन कर आती हैं, उन्हें पसंद करने के लिए बाजार में दुल्हे भी आते हैं. जब कोई दूल्हा किसी लड़की को पसंद करता है तो उसे लड़की से शादी करने के लिए उसके मां-बाप को पैसे देने होते हैं. वहीं अगर कोई एक लड़की कई लड़कों को पसंद आ जाती है तो उसकी बोली लगती है, जो लड़का ज्यादा पैसे देता है, लड़की का परिवार लड़की की शादी उस लड़के से करा देती है. हालांकि, कई बार इसमें लड़की की पसंद भी शामिल होती है. यानी अगर उन तमाम लड़कों में लड़की को कोई एक लड़का पसंद आ गया तो लड़की उससे शादी कर लेती है.
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कितने पैसे देने होते हैं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बाजार में एक लड़की की सुंदरता और उसकी उम्र के हिसाब से बोली लगती है. अगर कोई लड़की बहुत खूबसूरत है और उसकी उम्र 16 से 20 साल के करीब है तो उसके लिए बोली 10 लाख से ऊपर की लग सकती है. कई बार ये बोली 20 लाख तक भी पहुंच जाती है. वहीं सामान्य तौर पर बात करें तो इस बाजार में 6 लाख के आसपास की रकम में आपको दुल्हन मिल जाएगी.
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सदियों से चली आ रही है ये परंपरा
अब सवाल उठता है कि आखिर लड़कियों की ये मंडी लगनी कब शुरू हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये परंपरा आज की नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी है. दुल्हनों का ये बाजार कलैदज़ी समुदाय के लिए बेहद खास है. उनका मानना है कि उनके पूर्वजों ने ऐसा उनकी भलाई के लिए शुरू किया था. हालांकि, आज इस बाजार में बहुत कम परिवार शामिल होते हैं. पढ़े-लिखे परिवार अब इस परंपरा को नहीं मानते, बल्कि वह अपने बेटियों की शादी उनके मन पसंद के लड़के से कराते हैं.
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