सीएए लागू होने के बाद किस समुदाय के लोगों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर, जानिए क्या कहता है नियम
भारत में आज यानी सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियम लागू हो गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस नियम के बाद किसको फायदा मिलेगा और किस समुदाय पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियम लागू हो गए हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी के साथ इसकी अधिसूचना जारी की है और इसके लिए पोर्टल भी तैयार कर लिया है. इस पोर्टलपर गैर मुस्लिम प्रवासी समुदाय के लोग नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि सीएए लागू होने के बाद सबसे ज्यादा किस समुदाय पर असर पड़ेगा.
सीएए
बता दें कि दिसंबर 2019 में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट पारित हुआ था. इसके बाद इसे राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी थी. हालांकि उस वक्त ये लागू नहीं हुआ था. वहीं कयास लगाये जा रहे हैं थे कि लोकसभा चुनावों से पहले इसे लागू किया जा सकता है. जिसके बाद आज यानी सोमवार की शाम को भारत सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी करते हुए इस एक्ट को भारत में लागू कर दिया है.
अल्पसंख्यकों को मिलेगी नागरिकता
भारत सरकार द्वारा लागू सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के मुताबिक तीन मुस्लिम देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. यह नागरिकता सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हैं. सीएए के नियमों के मुताबिक 6 गैर-मुस्लिम समुदाय जिनमें हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं. उन्हीं लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. आसान भाषा में कहे तो अगर कोई मुस्लिम इन तीन देशों से भारत में 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले आया है तो उसे भारतीय नागरिकता लेने पूरी प्रक्रिया अपनानी होगी. उसे सीएए के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी.
किस समुदाय पर पड़ेगा असर
सीएए लागू होने के बाद भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन भारत के तीन मुस्लिम देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के जो भी मुस्लिम समुदाय के लोग भारत में घुसे हैं, उन्हें सीएए के जरिए नागरिकता नहीं मिलेगी. उन्हें नागरिकता पाने के लिए भारत के नागरिकता कानून के लिए सभी नियमों का पालन करना पड़ेगा. भारत सरकार का तर्क है कि ये तीनों देश इस्लामिक देश हैं, यहां से भारत आने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी.
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