पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियम लागू हो चुके हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर क्यों सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जा रही है. बाकी देशों के नागरिकों को क्यों नागरिकता नहीं दी जाएगी. आज हम आपको बताएंगे कि सीएए के तहत सिर्फ तीन देशों के ही अल्पसंख्यकों को क्यों नागरिकता दी जाएगी.
बाकी देशों के नागरिकों को क्यों नहीं मिलेगी नागरिकता
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को फायदा मिलेगा. जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शामिल है. इसके अलावा दूसरे देश के किसी भी अल्पसंख्यक को इसके तहत नागरिकता नहीं मिलेगी. इसके पीछे का कारण ये है कि 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय बहुत सारे अलग-अलग धर्म के लोग भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश बनने के बाद वहां चले गए थे. लेकिन पाकिस्तान जाने के बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाता था, जिसके बाद वह भारत आ गए थे. भारत आने के बाद ये लोग फिर कभी पाकिस्तान नहीं गए हैं.
बता दें कि इसमें भी जो लोग 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हैं, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी. सीएए के नियमों के मुताबिक इसमें 6 गैर-मुस्लिम समुदाय हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोग शामिल हैं. इसके अलावा किसी भी देश के अल्पसंख्यक या नागरिक को भारत की नागरिकता नहीं मिलेगी. बाकी सभी लोगों को भारत की नागरिकता पाने के लिए भारतीय नियमों को मानना पड़ेगा.
1947 भारत-पाकिस्तान बंटवारा
1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लाखों लोग पाकिस्तान चले गए थे. इसमें अलग-अलग धर्मों के लोग शामिल थे. लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे इस्लामिक देश में गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रताड़ित किया जाता था. जिसके बाद बहुत सारे हिंदू, सिख और ईसाई धर्म के लोग भारत वापस आ गए थे और फिर कभी नहीं लौटे. यहीं वजह है कि भारत सरकार सिर्फ इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दे रही है.
ये भी पढ़ें:किन-किन देशों में रहने वाले लोगों को मिलेगा सीएए का फायदा, कौन-से देश इस लिस्ट से रहेंगे बाहर