Old Calender Fact: दिन बीतते हैं, महीने बीतते हैं और फिर ऐसे ही करते करते न जाने कितने साल बीत गए, लेकिन क्या आपको पता है आज जिस दिसंबर को हम बारहवां महीना मानते हैं वह कभी दसवां हुआ करता था? यही नहीं, क्या आपने कभी यह भी सोचा है कि इन महीनों का नाम कैसे रखा गया होगा? किस आधार पर इन महीनों का नामकरण हुआ होगा? हर महीने के नाम के पीछे एक खास वजह है. आइए जानते हैं कैलेंडर का दिलचस्प इतिहास...


आज जिस कैलेंडर में साल की शुरुआत जनवरी से होती है वहीं, पुराने समय में साल मार्च से शुरू हुआ करता था. तब मार्च साल का पहला महीना हुआ करता था. आज की इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे इन महीनों का नाम रखा गया जिसको जानना वाकई आपके लिए दिलचस्प होगा, तो पढ़िए ये रोचक जानकारी -


सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर इन महीनों के नाम पड़े कैसे -


मार्च: पुराने समय में रोमन लोग साल भर युद्ध लड़ने के बाद सर्दियों में दो महीने आराम करते थे और मार्च में फिर से युद्ध शुरू होता था. रोमन युद्ध के देवता मार्स के नाम पर इस महीने का नाम मार्च रखा गया. 


अप्रैल: लैटिन भाषा में 'दूसरे' के लिए प्रयोग होने वाले शब्द के आधार पर अप्रैल का नाम रखा गया, लेकिन इसके अलावा यह भी कहा जाता है 'aperire' शब्द से अप्रैल महीने का नामकरण हुआ है. इसका हिंदी में मतलब है खिलना, क्योंकि इस मौसम में कलियां खिलती हैं. इसीलिए इसका नाम अप्रैल हुआ.


मई: इस महीने का नाम रोमन देवी 'मेया' के नाम पर रखा गया. मेया को पौधे और फसल उगाने वाली देवी कहा जाता है.


जून: रोमन लोग जून का महीना शादी के लिए सबसे शुभ मानते हैं. इसलिए शादियों की देवी 'जूनो' के नाम पर इस महीने का नाम जून रखा गया.


जुलाई: जुलाई को पहले 'क्विन्टिलिस' (पांचवा) कहा जाता था, लेकिन 44 ई.पू में जूलियस सीजर के नाम पर इसका नाम जुलाई हुआ.


अगस्त: 8 ई.पू में राजा ऑगस्टस सीजर के नाम पर इस महीने का नाम 'अगस्त' रखा गया था. पहले इसे 'सेक्स्टिलिया' (छठा) कहा जाता था.


सितम्बर: लैटिन भाषा के शब्द 'सेप्टम' से इस महीने का नाम बना, जिसका मतलब है सातवां.


अक्टूबर: लैटिन भाषा में के शब्द 'ओक्टा' से इस महीने का नाम अक्टूबर रखा गया. ओक्टो का अर्थ है आठ.


नवंबर: नोव से बना नवंबर. नोव मतलब नौवां. रोमन कैलेंडर में यह नौवां महीना था.


दिसंबर: कैलेंडर के आखिरी और दसवें महीने दिसंबर का नामकरण लैटिन भाषा के डेका के आधार पर हुआ जिसका अर्थ होता है दस. इस प्रकार दिसंबर साल का सबसे अंतिम और दसवां महीना हुआ करता था. 


आइए अब जानते हैं कि आखिर ये महीने 10 से 12 कैसे हुए? 


690 ई.पू. में पोम्पिलियस ने सर्दियों के खत्म होने ऑर मार्च के शुरू होने के बीच में मनाए जाने वाले उत्सव 'फ़ब्रुआ' को पहचान देने के लिए इस उत्सव के आधार पर उस महीने का नाम 'फरवरी' रख दिया था. इस तरह बना फरवरी महीना.


यह बड़ी ही दिलचस्प बात है कि साल का सबसे पहला महीना कैलेंडर में सबसे आखिर में जुड़ा था. जेनस को अंत और शुरुआत का देवता माना जाता है. इसीलिए साल के खत्म होने और नए साल के शुरू होने के आधार पर ही इस महीने का नाम जनवरी रख दिया गया.


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