पुलिस विभाग में अलग-अलग पद पर लोग काम करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक कांस्टेबल प्रमोशन लेकर किस ऑफिसर पद तक पहुंच सकता है. हालांकि ये सच है कि पुलिस विभाग राज्य सरकार के अधीन काम करता है, इसलिए हर राज्य में इसके नियम कुछ अलग हो जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि एक कांस्टेबल प्रमोशन के जरिए किस पद तक पहुंच सकता है.
पुलिस विभाग में कैसे होता है प्रमोशन
कोई अगर कांस्टेबल के पद पर पुलिस विभाग में भर्ती होता है, तो नियमित प्रमोशनों के ज़रिये वह सीनियर कॉंस्टेबल, हेड कांस्टेबल के पदों के बाद असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर होता है. इसके बाद एसआई और फिर इंस्पेक्टर तक पहुंचता है. वहीं एसआई और इंस्पेक्टर के बीच महाराष्ट्र में असिस्टेंट इंस्पेक्टर का पद है. इसके अलावा कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इंस्पेक्टर का पद गज़ेटेड अफसर का होता है. इसके बाद इंस्पेक्टर प्रमोट होकर डिप्टी एसपी के पद तक पहुंच सकता है. केंद्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा (अंडर ट्रेनिंग आईपीएस) के बाद असिस्टेंट एसपी का पद मिलता है, जबकि राज्य लोक सेवा की परीक्षा के बाद डीएसपी का पद मिलता है. इसके बाद एडिशनल एसपी और फिर एसपी का पद है. एसपी के बाद प्रमोशन से डीआईजी, आईजी, एडीजी और डीजीपी के पद तक का सफर तय होता है.
कांस्टेबल से डीएसपी
आज जो किस्सा बताने वाले हैं, ये बात 2017 की है. जब वेंकटेश कांस्टेबल से डीएसपी के पद पर पहुंचा था. दरअसल दस साल पहले कॉंस्टेबल के पद पर भर्ती हुए वेंकटेश ने कर्नाटक के राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी. जिसके बाद वह डीएसपी बना था.
इसके बाद दूसरा किस्सा रोशन लाल का है. रोशन लाल ने केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पुलिस सेवा में 1979 में कॉंस्टेबल के पद से शुरूआत की थी. 1983 में उन्हें वायरलेस कैडर में शिफ्ट किया गया था. इसके बाद 1985 में लाल को हेड कॉंस्टेबल और 1989 में एएसआई के रूप में पदोन्नति मिली थी. 1991 में एसआई और 1996 में वह इंस्पेक्टर बने थे. 2003 में डीएसपी की रैंक पर उन्हें प्रमोट किया गया था. प्रेसिडेंट पुलिस मेडल से सम्मानित लाल के प्रमोशन का क्रम एक दशक तक रुका था. डीएसपी की रैंक पर आठ साल रहने के बाद लाल ने प्रमोशन के लिए अर्ज़ी दाखिल की थी. लेकिन सुनवाई में होने वाली देरी के बीच नई प्रमोशन पॉलिसी को मंज़ूरी मिल गई थी. इसके बाद रोशन लाल को 2015 में यानी 36 साल बाद एसपी की रैंक प्राप्त हुई थी. रोशन लाल की कहानी ये बताती है कि भारत में कैसे एक सिपाही लंबे समय के दौरान एसपी के पद तक पहुंच सकता है.
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