(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
DNA Test: क्या होता है डीएनए टेस्ट, क्या इससे मरे हुए शख्स की हो जाती है पहचान?
मेडिकल साइंस में डीएनए शब्द का काफी इस्तेमाल होता है. अपने देश में भी कई अलग-अलग दुर्घटनाओं में कोर्ट के आदेश पर डीएनए टेस्ट हुए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डीएनए टेस्ट कैसे होता है.
डीएनए टेस्ट के बारे में अधिकांश लोगों ने सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डीएनए टेस्ट कब और कैसे होता है. बता दें कि कुवैत के मंगाफ शहर में इमारत में आग लगने से मरने वाले 40 भारतीयों की पहचान भी टीएनए टेस्ट के जरिए की जाएगी. आज हम आपको बताएंगे कि डीएनए टेस्ट के जरिए कैसे किसी मरे हुए इंसान की पहचान की जा सकती है.
क्या है डीएनए टेस्ट?
दुनियाभर में डीएनए टेस्टिंग को मेडिकल टेस्ट के मामले में काफी आधुनिक जांच माना जाता है. डीएनए को लेकर 19वीं सदी से खोज और रिसर्च शुरू हो गई थी. डीएनए का मतलब डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड होता है. बता दें कि यह हर इंसान और जीवों के जींस में होता है, जो पूर्वजों या हमारे वंश के बारे में सटीक जानकारी देता है. जानकारी के मुताबिक, डीएनए की संरचना सीढ़ीनुमा होती है. क्योंकि हर बच्चे का डीएनए उसके पेरेंट्स से बनता है. हर माता-पिता का डीएनए एक नहीं होता है, इसलिए दोनों से मिलकर तैयार हुआ बच्चे का डीएनए यूनीक होता है. वहीं डीएनए टेस्ट में पैरेंट्स और बच्चे के मिलान से साबित होता है कि वो बच्चा किस माता-पिता का है. यही वजह है की डीएनए टेस्ट से उसके पेरेंट्स की जानकारी मिलती है.
डॉक्टर कैसे करते हैं डीएनए टेस्ट?
बता दें कि डीएनए के लिए सैम्पल कई तरीकों से लिए जाते हैं. इसमें खून, थूक, लार, दांत, बाल, हड्डियां, नाखून और पेशाब शामिल है. उदाहरण के लिए कुवैत घटना में जलने के बाद मृत भारतीयों की सिर्फ हड्डियां ही बची हैं. अब वहां पर हड्डियों के जरिए ही डीएनए के सैम्पल लिया जा सकता है. जांच के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट सैम्पल लेकर उसमें से डीएनए को अलग करते हैं. वहीं लैब में सैम्पल की एनालिसिस करके रिपोर्ट में उस इंसान के बारे में कई जानकारियां दी जाती हैं.
सबसे पहले डीएनए की जांच
जानकारी के मुताबिक वर्ष 1984 में पहली बार इसके बारे में सुना गया था. उसके बाद दुनियाभर में इसका प्रचलन बढ़ गया है. 1984 में साइटिंस्ट एलेक जैफरीज डीएनए टेस्टिंग को उस अंजाम तक ले गए थे, जिसके बाद डीएनए के जांच को सफल माना गया था. हालांकि डीएनए के बारे में तमाम खोजें और रिसर्च 19वीं सदी से ही जारी थी. आज भी मेडिकल साइंस टीएनए और उससे जुड़े कई अन्य तरीकों पर रिसर्च कर रहा है. जिससे बहुत कम समय में माता-पिता और बच्चे के डीएनए का मिलान हो सके.
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