इजरायल अपने चौथरफा युद्ध में तो वहीं रूस यूक्रेन युद्ध में मिसाइलों को इस्तेमाल किया जा रहा है. आज के समय में आधुनिक युद्ध तकनीकों में मिसाइल रक्षा प्रणाली एक खास रोल पूरा करती हैं. जब दुश्मन की मिसाइलें हमारे देश की ओर आती हैं, तो उसे नष्ट करने के लिए कुछ खास तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. एक तरीका है, जब एक मिसाइल को दूसरी मिसाइल से टकराकर उसे नष्ट किया जाए. इसे मिसाइल इंटरसेप्शन कहते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ये सचमुच प्रभावी है? क्या यह हमलावर मिसाइलों को पूरी तरह से खत्म कर सकता है? चलिए जानते हैं.
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क्या है मिसाइल इंटरेप्शन का तरीका?
गौरतलब है कि मिसाइल इंटरसेप्शन का मतलब है, एक मिसाइल का दूसरी मिसाइल द्वारा नष्ट किया जाना. जब दुश्मन की मिसाइल हमारे देश की ओर आती है, तो हमारे पास एक ऐसी प्रणाली होती है जो उसे पहचानकर खत्म कर देती है. यह काम बहुत तेजी से होता है. इसके लिए थाड (THAAD), आइरन डोम (Iron Dome) जैसी प्रणालियां काम करती हैं. इन प्रणालियों में रडार और सेंसर्स का इस्तेमाल करके दुश्मन की मिसाइल को ट्रैक किया जाता है और फिर एक दूसरी मिसाइल भेजी जाती है जो उसे हवा में ही नष्ट कर देती है.
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मिसाइल से मिसाइल टकराकर हमला रोकने की प्रणाली बहुत आधुनिक और असरदार है, लेकिन इसमें कुछ परेशानियां भी हैं. सबसे पहली बात ये है कि मिसाइलें बहुत तेज होती हैं और इन्हें रोकने के लिए बहुत कम समय मिलता है. इसके अलावा, हर मिसाइल इंटरसेप्टर (नष्ट करने वाली मिसाइल) की सफलता दर 100 प्रतिशत नहीं होती. जैसे कि आइरन डोम की सफलता दर करीब 85% से 90% तक रही है, जिसका मतलब है कि कुछ मिसाइलें बच भी सकती हैं. इसके अलावा, आजकल की कुछ मिसाइलों में ऐसे खास तरीके होते हैं, जिनसे इंटरसेप्टर को धोखा दिया जा सकता है. जैसे, एक मिसाइल कई हिस्सों में बंट सकती है, जिससे इसे नष्ट करना और भी मुश्किल हो जाता है.
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