क्या शेख हसीना की तरह पाकिस्तान का कोई नेता भी भागकर भारत आ सकता है? ये रहा जवाब
सवाल यह है कि क्या शेख हसीना की तरह पाकिस्तान का भी कोई नेता भागकर भारत आ सकता है? क्या भारत और पाकिस्तान के बीच भी ऐसी कोई प्रत्यर्पण संधि है? चलिए जानते हैं...
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इन दिनों भारत में हैं. बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने भागकर भारत में शरण ली थी. अब बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है. ऐसा भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत किया जा रहा है. बांग्लादेश सरकार ने इसको लेकर भारत सरकार को पत्र भी लिखा है. हालांकि, यह भारत पर है कि वह इस संधि को जारी रखता है या नहीं. अब सवाल यह है कि क्या शेख हसीना की तरह पाकिस्तान का भी कोई नेता भागकर भारत आ सकता है? क्या भारत और पाकिस्तान के बीच भी ऐसी कोई प्रत्यर्पण संधि है? चलिए जानते हैं...
क्या होती है प्रत्यर्पण संधि?
दो देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि का मतलब है कि जब किसी देश को कोई ऐसा नागरिक, जो किसी अपराध के मामले में वांछित है और भागकर ऐसे देश में शरण लेता है, जिसके साथ उसकी प्रत्यर्पण संधि है, उसे वापस उसके मुल्क भेजना पड़ता है. हालांकि, यह बहुत हद तक प्रत्यर्पण की शर्तों पर निर्भर करता है कि कोई मुल्क ऐसे अपराधी को वापस सौंपेगा या नहीं. राजनीतिक मामलों में प्रत्यर्पण की शर्तें अलग-अलग होती हैं.
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भारत और बांग्लादेश के बीच है संधि
जहां तक भारत और बांग्लादेश का सवाल है तो दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि है. दोनों देशों ने 2013 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत 2020 में भारत ने शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दो दोषियों को बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया था. वहीं, बांग्लादेश ने भी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के महासचिव अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था.
क्या पाकिस्तान के साथ भी है कोई संधि
पाकिस्तान के मामले में ऐसा नहीं है. दरअसल, दोनों देशों के बीच ऐसी कोई संधि नहीं है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के अपराधियों को सौंपने के लिए मजबूर हों. बता दें, जब भारत ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को लेकर प्रत्यर्पण की मांग की थी, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया था. इसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि मौजूद नहीं है.
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