CBI And Ed Raid SC Judges: देश में जांच एजेंसियों में सीबीआई और ईडी दो बड़े नाम हैं. ये दोनों जांच एजेंसियां आपराधिक गतिविधियों की जांच करती हैं. ये दोनों ही केंद्र ही एजेंसियां हैं और दोनों के पास छापेमारी का अधिकार है. लेकिन इनके अधिकार अलग-अलग हैं. ईडी का काम है आर्थिक गड़बड़ी पर फोकस करना, वहीं सीबीआई क्राइम और अन्य चीजें की जांंच करती है. मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मुद्दों पर ईडी फोकस करती है और हत्या, भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच करना सीबीआई का काम होता है. इन दोनों एजेंसियों से आम आदमी से लेकर नेता और अभिनेता सभी डरते हैं. लेकिन यहां पर सवाल यह है कि क्या ईडी और सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के जजों पर छापा मार सकती है. चलिए हम आपको इसका जवाब देते हैं.
क्या सुप्रीम कोर्ट के जज पर सीधी छापेमारी कर सकती है CBI और ED
जजों का काम होता है लोगों के हितों में फैसला सुनाना और अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा देना. लेकिन क्या हो जब खुद जज ही आरोपी हो जाए तो. ऐसे में क्या सीबीआई और ईडी आम लोगों की तरह उनके यहां भी छापेमारी कर सकती है. क्योंकि आए दिन हम ऐसी खबरें सुनते हैं कि सरकारी कर्मचारी के घर पर छापेमारी हुई. तो क्या सुप्रीम कोर्ट के जज पर भी ये बात लागू हो सकती है. ऑफिसर्स से लेकर मंत्री तक इन दोनों एजेंसियों से बच नहीं पाए हैं, लेकिन ये एजेंसियां जज को नहीं छू सकती हैं. क्योंकि इसके पीछे नियम है.
क्या कहता है नियम
25 जुलाई 1991 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑर्डर दिया था. इसमें कहा गया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज पर जांच बैठानी है तो इसके लिए केस फाइल करने से पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सबूत दिखाना होगा और सीजेआई इसके लिए अनुमति देगा तब जाकर केस फाइल किया जा सकता है. तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज पर सीधा छापेमारी करके एंटीकरप्शन की जांच शुरू नहीं की जा सकती है.
जांच के लिए कौन देगा परमिशन
दरअसल 2019 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने उस वक्त सीबीआई को परमिशन दी थी कि वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज जस्टिस एस एन शुक्ला पर केस फाइल कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज पब्लिक सर्वेंट की कैटेगरी में आते हैं और भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम 1988 में कंडीशन दी कि जांच के लिए सीजेआई की परमिशन अनिवार्य होगी.