भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में बीते कुछ सालों से अस्थिरता का माहौल है. बांग्लादेश में हाल ही में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई थी. जब आंदोलनकारियों ने शेख हसीना सरकार का तख्तापलट कर दिया था. उन्हें अपना वतन छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी, यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा को भी गिरा दिया.
भारत के एक और पड़ोसी पाकिस्तान में तख्तापलट तो आम बात है. भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान में तीन बार सरकार गिराई जा चुकी है और हर बार सेना ने मुल्क का शासन अपने हाथ में लिया. आज से तीन साल पहले पाकिस्तान की राजनीति में कुछ ऐसा ही घटनाक्रम हुआ था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उनकी सरकार भी गिर गई. अब सवाल यह है कि क्या दुनिया के तीसरे सबसे ताकतवर देश और दूसरी आर्थिक महाशक्ति चीन में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह तख्तापलट संभव है?
2012 से काबिज हैं शी जिनपिंग
चीन की सत्ता पर लंबे समय से राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कब्जा है. 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद से वह शीर्ष पद पर काबिज हैं. यह शी जिनपिंग का लगातार तीसरा कार्यकाल है. शी जिनपिंग ने लगातार तीसरे कार्यकाल में बने रहने के लिए 2022 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में नियमों को भी बदल दिया था. दरअसल, चीन में 1982 में सर्वोच्च पद यानी चीन के राष्ट्रपति पद लगातार दो कार्यकाल यानी 10 साल के कार्यकाल का नियम बनाया गया था. इसके तहत कोई भी व्यक्ति 10 साल के लिए ही चीन का राष्ट्रपति बन सकता है. शी जिनपिंग ने इस नियम को पलट दिया था. इस तरह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ जेदोंग के बाद वह ऐसे पहले चीनी नेता है, जिन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था.
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
चीन में एक दलीय शासन व्यवस्था है. यहां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) का शासन है. इस राजनीतिक दल के अंतर्गत आठ राजनीतिक दल और भी हैं, लेकिन उनका वजूद न के बराबर है. सीपीसी देशभर में प्रतिनिधियों की नियुक्ति करती है. इनकी सख्या 2300 है. ये प्रतिनिधि बंद कमरे में सीपीपी की सेंट्रल कमेटी का चुनाव करते हैं, जिसमें 200 सदस्य होते हैं. यही सेंट्रल कमेटी पोलित ब्यूरो का चयन करती है. पोलित ब्यूरो के 24 सदस्य मिलकर चुनाव के आधार पर पार्टी महासचिव और स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव करते हैं. कहने को तो यह प्रक्रिया मतदान के द्वारा होती है, लेकिन राष्ट्रपति के वफादार लोगों को पहले ही तय कर लिया जाता है. पोलित ब्यूरो द्वारा चुना गया सीपीसी का महासचिव ही देश का राष्ट्रपति बनता है और वही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का भी कमांडर होता है.
पोलित ब्यूरो से हटाए गए विरोधी
बता दें, 2022 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जिनपिंग ने पोलित ब्यूरो से अपने विरोधियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अब पोलित ब्यूरो में शी जिनपिंग के करीबी और वफादार नेता आसीन हैं. ऐसे में यहां तख्तापलट करना काफी मुश्किल काम है. दरअसल, चीन की सेना की कमान भी राष्ट्रपति के ही हाथ में होती है.
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